बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को मुंबई पुलिस से सवाल किया कि जब पुलिस कथित टीआरपी घोटाले में रिपब्लिक टीवी और उसके प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी के विरूद्ध पर्याप्त सबूत होने का दावा कर चुकी है, तो उसने इस मामले में उन्हें बतौर आरोपी नामजद क्यों नहीं किया?
न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पिटाले की पीठ ने विशेष सरकारी वकील शिशिर हिरय को बृहस्पतिवार तक अदालत को यह बताने को कहा कि पुलिस की गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी के विरूद्ध कार्यवाही आगे बढ़ाने की योजना है या नहीं।
पीठ ने हिरय से अदालत को यह भी बताने को कहा कि पुलिस को इस मामले में जांच पूरी करने में कितना समय लगने की संभावना है।
उच्च न्यायालय ने कहा, ”आप पिछले तीन महीने से जांच कर रहे हैं। दो आरोपपत्र हैं और ऐसा जान पड़ता है कि उनके विरूद्ध सबूत नहीं है और यह प्राथमिकी अक्टूबर, 2020 की है। हम मार्च, 2021 में हैं।”
पीठ ने कहा, ”उनके सिर पर तलवार क्यों लटकाकर रखी जाए? आप उन्हें आरोपी नहीं बना रहे हैं, ऐसा क्यों?” पीठ ने गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी चलाने वाली कंपनी एआरजी आउटलाइर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के वकील अशोक मुंदारगी की दलीलों के बाद ये टिप्पणियां की।
मुंदारगी ने कहा कि पुलिस ने गोस्वामी और एआरजी आउटलाइर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के कुछ कर्मियों को संदिग्ध के रूप में नामजद किया है लेकिन उसके पास उन्हें आरोपी के रूप में आरोपित करने के लिए सबूत नहीं है।
हालांकि हिरय ने कहा कि पुलिस के पास पर्याप्त सबूत हैं और वह बाकी सबूत भी इकट्ठा कर रही है। बृहस्पतिवार को भी यह सुनवाई जारी रहेगी। पुलिस के अनुसार इस बात के सबूत हैं कि गोस्वामी ने रिपब्लिक टीवी की टीआरपी में छेड़छाड़ करने के लिए ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ साठगांठ की।