राज्य में बीजेपी और जेजेपी विधायकों के विरोध के खिलाफ हरियाणा विधानसभा में प्रस्ताव पारित हुआ है। राज्य के कई हिस्सों में विधायकों के खिलाफ प्रदर्शन को लेकर यह प्रस्ताव पारित हुआ है। बीजेपी और जननायक जनता पार्टी के विधायकों को किसान आंदोलन के समर्थकों की ओर से कई इलाकों में विरोध झेलना पड़ा है। यहां तक कि अंबाला में विधायक असीम गोयल के घर के बाहर भी आंदोलन समर्थकों की ओर से विरोध प्रदर्शन हुआ था। हालांकि विधानसभा से पारित प्रस्ताव में किसी राजनीतिक दल या फिर किसानों का जिक्र नहीं किया गया है।
नवंबर के आखिरी सप्ताह में शुरू हुए किसान आंदोलन के बाद से ही हरियाणा की सत्ताधारी पार्टियों बीजेपी और जेजेपी के विधायकों को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। कई गांवों में विधायकों की एंट्री तक को रोकने का प्रयास किया गया था। यहां तक कि सीएम मनोहर लाल खट्टर और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को भी विरोध झेलना पड़ा है। कानून व्यवस्था की स्थिति के चलते हरियाणा सरकार को गणतंत्र दिवस के मौके पर अपने आधिकारिक कार्यक्रम भी रद्द करने पड़े थे। सीएम मनोहर लाल खट्टर विरोध की घटनाओं के चलते सोमवार को सदन में गुस्से में नजर आए और विपक्षी नेताओं से भी इसकी निंदा करने की अपील की।
सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा, ‘अगर कहीं पर समाज का कोई वर्ग, कोई संगठन किसी भी राजनीतिक दल के नेताओं का बायकॉट करने की बात कहेगा तो यह सदन उनकी निंदा करने का प्रस्ताव करता है।’ इसके बाद स्पीकर की ओर से निंदा प्रस्ताव पढ़ा गया और सदन ने ध्वनिमत के साथ उसे मंजूरी दी। हालांकि कांग्रेस ने इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया और वॉकआउट कर दिया। कांग्रेस का कहना था कि उससे मशविरा किए बिना ही यह प्रस्ताव लाया गया था। इससे पहले सीएम खट्टर ने कहा कि कुछ ऐसे लोग हैं, जो लोगों को उकसाने में जुटे हैं।
मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि यह ट्रेंड खतरनाक है और लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए अच्छा संकेत नहीं है। ऐसी घटनाओं को लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए सीएम खट्टर ने कहा कि इस सदन को किसी राजनीतिक दल के लोगों के बायकॉट की घटनाओं की निंदा करनी चाहिए। हालांकि पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा मनोहर लाल खट्टर की राय से सहमत नहीं थे।