सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की 50 फीसदी तय सीमा में बदलाव को लेकर पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राज्यों से राय मांगी थी। इस संबंध में राजस्थान सरकार का कहना है कि वह भी इस बात से सहमत है कि आरक्षण की 50 फीसदी सीमा पर पुनर्विचार करना चाहिए। सोमवार शाम को सीएम अशोक गहलोत अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग के बाद जारी बयान में कहा गया है कि सरकार इस पक्ष में है कि 50 फीसदी आरक्षण की सीमा पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
राजस्थान सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘स्टेट कैबिनेट की मीटिंग में सुप्रीम कोर्ट की ओर से मांगी गई राय को लेकर चर्चा हुई है। कैबिनेट मीटिंग में इंदिरा साहनी केस को लेकर यह राय जाहिर की गई है कि कुछ परिस्थितियों में इस पर विचार करना चाहिए।’ जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच ने राज्यों को जवाब देने के लिए एक सप्ताह का वक्त दिया है।
आठ मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह इस बात का परीक्षण करेगा कि क्या 1992 में दिए गए इंदिरा साहनी जजमेंट को दोबारा देखने की जरूरत है या नहीं, क्या इंदिरा साहनी जजमेंट को लार्जर बेंच भेजे जाने की जरूरत है या नहीं इस बात को सुप्रीम कोर्ट देखेगा। सुप्रीम कोर्ट ने मराठा रिजर्वेशन मामले की सुनवाई के दौरान मंडल जजमेंट के परीक्षण पर फैसला लेने की बात कही है। प्रदेश सरकार के बयान के मुताबिक 102वें संविधान संशोधन में राज्य विधानसभा की शक्तियां सीमित कर दी हैं।
लेकिन कैबिनेट ने अपनी राय से सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराने का फैसला लिया है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण से जुड़े मसले की सुनवाई करते हुए सभी राज्य सरकारों से राय मांगी थी और पूछा था कि क्या आरक्षण की 50 फीसदी तय सीमा पर दोबारा विचार करना चाहिए। कैबिनेट मीटिंग के दौरान कुछ अन्य फैसलों को लेकर भी बातचीत हुई।
कैबिनेट मीटिंग में राज्य के 12 जिलों के 17 नगर निकायों के गठन को भी मंजूरी दी गई। इन नगर निकायों के गठन का ऐलान 2020-21 के बजट में भी किया गया था। सरकार ने जिन नगर निकायों के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है, उनमें मांडवाड़ी, बस्सी, रामगढ़, बनसूर, जवाल, भोपालगढ़, लालगढ़-जतन, उनचैन, सिकरी, सुलतानपुर, सापोतरा और लक्ष्मणगढ़ शामिल हैं।