पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस की नई टीम का इम्तिहान
अग्निपरीक्षा
-नतीजे पार्टी के नए अध्यक्ष की राह तय करेंगे
-राहुल के भरोसेमंद हैं चुनावी राज्यों के प्रभारी
नई दिल्ली । विशेष संवाददाता
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का प्रचार रफ्तार पकड़ चुका है। कांग्रेस प्रचार में पूरी ताकत झोंक रही है, क्योंकि इन राज्यों के नतीजे पार्टी के नए अध्यक्ष की राह तय करेंगे। चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहता है तो राहुल गांधी के लिए अध्यक्ष पद पर वापसी की राह आसान होगी। वहीं, प्रदर्शन उम्मीद से कम रहा तो पार्टी के असंतुष्ट नेताओं को नेतृत्व पर सवाल उठाने का एक और मौका मिल जाएगा।
आगामी विधानसभा चुनाव कांग्रेस से ज्यादा राहुल गांधी की नई टीम का इम्तिहान है। राहुल की साख पांचों राज्यों के प्रभारियों के प्रदर्शन पर निर्भर है, क्योंकि सभी चुनावी राज्यों के प्रभारी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष के भरोसेमंद माने जाते हैं। इन चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन खराब रहता है, तो बिहार की तरह पार्टी से नाराज चल रहे असंतुष्ट नेताओं को कांग्रेस नेतृत्व और उनकी टीम के सदस्यों पर सवाल उठाने का मौका मिल जाएगा।
तमिलनाडु से सबसे ज्यादा उम्मीदें
कांग्रेस को सबसे ज्यादा उम्मीद तमिलनाडु से है। तमिलनाडु और पुडुचेरी का प्रभार दिनेश गुंडुराव के पास है। वह राहुल की नई टीम का हिस्सा हैं। केरल के वायनाड से राहुल खुद सांसद हैं। वर्ष 2019 में उनका यहां से चुनाव लड़ना फायदेमंद साबित हुआ और पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया। पर निकाय चुनाव में एलडीएफ को मिले समर्थन ने यूडीएफ की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
केरल में तारिक अनवर पर नजरें
केरल में 1980 के बाद कोई पार्टी दूसरी बार सत्ता में नहीं आई है। ऐसे में एलडीएफ सत्ता में वापसी करता है तो यह पार्टी के लिए बड़ा झटका होगा। तारिक अनवर लोकसभा चुनाव से पहले ही एनसीपी से कांग्रेस में आए हैं। केरल के प्रभारी के तौर पर संगठन में उनकी पहली जिम्मेदारी है। ऐसे में यूडीएफ सत्ता में वापसी नहीं करता है तो उन्हें प्रदेश प्रभारी बनाने के फैसले पर भी सवाल उठेंगे।
बंगाल में जितिन प्रसाद पर भरोसा
पश्चिम बंगाल का प्रभार पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद के पास है। वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में शामिल हैं, पर पार्टी नेतृत्व ने उन पर भरोसा जताया है। ऐसे में जितिन प्रसाद के सामने भी खुद को साबित करने की चुनौती है। असम का प्रभार भी राहुल की टीम के सदस्य जितेंद्र सिंह संभाल रहे। उनके सामने भी खुद को साबित करने की चुनौती होगी।