जम्मू एवं कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया। मुफ्ती ने अपने खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय द्वारा धनशोधन मामले में जारी समन को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। 61 वर्षीय पीडीपी नेता महबूबा एक साल नजरबंदी के बाद बाहर आई हैं। जम्मू एवं कश्मीर राज्य को विशेष दर्जे से बाहर करने पर इन नेताओं को नजरबंद किया गया था।
अब महबूबा के खिलाफ ईडी ने धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए समन जारी किए हैँ। महबूबा को 15 मार्च को दिल्ली के ईडी मुख्यालय पर आने को कहा गया है। उच्च न्यायालय इस याचिका पर बुधवार को सुनवाई कर सकता है। माना जा रहा है कि मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल की पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी।
इस मामले में पीडीपी नेता ने धनशोधन अधिनियम की धारा 50 के तहत इन समन को शून्य व निष्क्रिय घोषित करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि यह समन गलत तरीके से भेदभावपूर्ण, सुरक्षा उपायों का उल्लंघन एवं अनुच्छेद 20(3) का सीधा उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि धनशोधन की धारा 50 अधिकारियों को समन, दस्तावेजों व अन्य सबूता देने के बारे में जानकारी याचिकाकर्ता को उपलब्ध कराने का अधिकार देता है।
अंतरिम राहत की मांग की गई
महबूबा मुफ्ती की तरफ से इस याचिका में उच्च न्यायालय से समन पर बहरहाल रोक लगाने की मांग की है। महबूबा का कहना है कि जांच एजेंसी उन्हें यह भी नहीं बताया कि उन्हें समन आरोपी या गवाह के तौर पर किया गया। याचिकाकर्ता का कहना है कि उन्हें नहीं बताया गया कि वह आरोपी हैं या उनसे किसी मामले को लेकर गवाह के तौर पर पूछताछ करनी है। महबूबा की तरफ कहा गया है कि उच्च न्यायालय इन समन पर रोक लगाए।