हर वक्त चीन की जी हजूरी करने वाले पाकिस्तान को ड्रैगन हमेशा बेवकूफ बनाता है, मगर आतंक के आका को कुछ समझ ही नहीं आता। चाहे कोरोना वैक्सीन को लेकर हो या हथियार, चीन ने हमेशा पाकिस्तान की पीठ में खंजर घोपा है, मगर तब भी पाक सबक नहीं ले रहा और गुलाम की तरह मालिक की जी हजूरी में लगा रहता है। जिस जेफ-17 के दम पर पाकिस्तान कूदता है, दरअसल वह चीन के द्वारा ‘सोना’ बताकर दिया गया एक तरह से कूड़ा ही है और यह अब उसके लिए जी का जंजाल बन चुका है। चीन ने पाकिस्तान को जेफ-17 थंडर यह कहकर दिया था कि यह कम कीमत वाला, हल्का वजनी और हर मौसम में मार करने वाला फाइटर जेट है, मगर हकीकत इससे कोसों दूर है और अब अन्य आधुनिक हथियार सिस्टम की तुलना में इसका हाई मेंटनेंस और ऑपरेशन पाकिस्तान के लिए सिरदर्द बन चुका है।
दरअसल, साल 1999 में पाकिस्तान और चीन ने साथ मिलकर जेएफ-17 थंडर बनाने के लिए संयुक्त करार किया था। उस वक्त यह भी तय किया गया था कि इसे बनाने में जितने भी पैसे लगेंगे उसे दोनों देश शेयर करेंगे। पाकिस्तान मानता था कि जेएफ-17 भारत के Su-30MKI, Mig-29 और Mirage-2000 के बराबर होगा। पाकिस्तान को लगा था कि उसके जेएफ-17 थंडर लड़ाकू विमान में पश्चिमी एवियोनिक्स से लैस होंगे और रूसी क्लिमोव आरडी 93 एयरोइन द्वारा संचालित होंगे तो बेहतर होगा, मगर पाकिस्तान का मानना, एक ख्वाब बनकर ही रह गया।
दरअसल, Pentapostagma की रिपोर्ट में इस बात की जानकारी आई है कि पाकिस्तान का जेएफ-17 अधिकाश इलाकों में टारगेट को हिट करने में विफल रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आधुनिक हथियार सिस्टम की तुलना में जेएफ-17 उस क्वालिटी की नहीं है और पाकिस्तान को कई बार धोखे ही मिले हैं। 27 फरवरी 2019 को भी जब भारतीय वायुसेना ने बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को तबाह किया था और उसके जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने जेएफ-17 को भेजा था, मगर मिराज-2000 और सुखोई-30 के सामने वह पूरी तरह बौना साबित हुआ था। उस दिन भी पाकिस्तान का सबसे अच्छा माने जाने वाले हथियार यानी जेएफ-17 ने उसका साथ नहीं दिया।
Pentapostagma की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी जेएफ-17, एफ-16 गया गुजरा है। जेएफ-17 थंडर में न तो इफेक्टिव बीवीआर या एयरबोर्न इंटरसेप्शन रडार भी नहीं है। इसमें पर्याप्त डेटा ट्रांसफर रेट भी नहीं है और इसकी क्षमता भी आज के हथियारों की तुलना में बेहतर नहीं है। F-16 के बाद इस एफ-17 को पाकिस्तान वायु सेना के सबसे बेहतर लड़ाकू विमान होने का दावा किया गया, मगर खराब सटीकता और कम हथियार ले जाने की क्षमता ने पाकिस्तान का पारा हाई कर दिया। 27 फरवरी 2019 को जेएफ-17 की विफलता को पूरी दुनिया ने देखा था कि कैसे भारतीय लड़ाकू विमानों को टारगेट करने और हमले करने में यह विमान फेल साबित हुआ था।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी फाइटर जेट जेएफ-17 विमान में KLJ-7 अल रडार और वीपन मिशन मैनेजमेंट सिस्टम (WMMC) लगा हुआ है, मगर दोनों में कई सारी दिक्कतें भी हैं। एक ओर जहां, केएलजे-7 रडार का डिग्रेटेड विहेवियर शो करता है, वहीं दूसरी ओर WMMC यानी वीपन मिशन मैनेजमेंट सिस्टम भी लिमिटेड कैपिसिटी और हाइ रेट की वजह से पूरी तरह फेल साबित हुआ है। इसका मेन कम्प्यूटर मॉडल भी खराब है।
दरअसल, जेएफ-17 की विफलता की सबसे बड़ी वजह है रूसी आरडी-93 इंजन का होना। यह अपनी खराब सर्विस के लिए जाना जाता है। चीन ने इस एयरक्राफ्ट में इसी इंजन का इस्तेमाल किया है और पाकिस्तान की आंखों में झूल झोंका है। अब पाकिस्तान की नजर चीनी जे-10 एयरक्राफ्ट पर है, जो कि काफी सस्ता है। हालांकि, 2018 में इसकी अनुमानित कीमत 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति फाइटर थी, मगर पिछले साल पाकिस्तानी रुपए के लगभग 30 फीसदी कम होने के कारण विमान की लागत इस्लामाबाद के लिए अधिक होगी।