स्कूल निर्माण के लिए उत्तर-पूर्वी दिल्ली के करावल नगर के तीन भाई-बहन करोड़ों रुपये की जमीन दिल्ली सरकार को निशुल्क देने को तैयार हैं, लेकिन डेढ़ साल से अधिक वक्त बीत जाने के बाद भी दिल्ली सरकार ने जमीन लेने और स्कूल निर्माण करने के बारे में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अब तीनों भाई-बहन ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सरकार को जमीन लेने और उस पर स्कूल बनाने का आदेश देने की मांग की है।
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने इसे गंभीरता से लेते हुए दिल्ली सरकार और शिक्षा निदेशालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता अनूप सिंह, सतीश कुमार और अनूपी ने अपनी याचिका में अलग तरह की मांग की है और सरकार को उस पर जल्द से जल्द विचार करना चहिए। कोर्ट ने सरकार को मामले की अगली सुनवाई 30 अप्रैल से पहले जवाब दाखिल करने को कहा है। तीनों भाई-बहन ने याचिका में करावल नगर में अपनी 5000 वर्ग गज जमीन का मालिकाना हक सरकार को देने की इच्छा जाहिर की है ताकि उस पर जल्द से जल्द सीनियर सेकेंड्री स्कूल बनाया जा सके।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने हाईकोर्ट को बताया कि उनके मुवक्किल मंसा राम की संतान हैं और करावल नगर स्थित अपने पिता के मालिकाना हक वाली जमीन सरकार को स्कूल बनाने के लिए देना चाहते हैं। मंसा राम की मौत वर्ष 2009 में हो गई थी। वकील अग्रवाल ने कोर्ट का बताया कि उनके मुवक्किलों ने जमीन का मालिकाना हक सरकार को स्थानांतरित करने के लिए जून, 2019 में ही आग्रह पत्र भेजा था, लेकिन सरकार की ओर से अब तक उस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। अग्रवाल ने हाईकोर्ट को बताया कि यह जमीन खाली पड़ी है और इलाके के असामाजिक तत्व उसका बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं। तीनों भाई-बहन ने याचिका में कहा है कि वे बिना किसी शर्त के उस जमीन को सरकार को सीनियर सेकेंड्री स्कूल के लिए बहुमंजिला इमारत बनाने के लिए देना चाहते हैं।
अग्रवाल ने कहा कि करावल नगर में सरकारी स्कूल की कमी के चलते हजारों बच्चों निजी स्कूल में पढ़ने को मजबूर है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा याचिकाकर्ताओं की मांग पर विचार नहीं करना उन हजारों बच्चों के मौलिक अधिकारों का हनन है जो सरकारी स्कूल में पढ़ना चाहते हैं।
सरकार को क्यों देना चाहते हैं जमीन?
दरअसल, तीनों भाई-बहन अपने पिता के मालिकाना हक वाली जो जमीन सरकार को देना चाहते हैं, उस पर वर्ष 1976 से ही ही एक स्कूल चल रहा था। आलोक पुंज माध्यमिक विद्यालय का संचालन आलोक पुंज विद्यापीठ नामक सोसाइटी द्वारा किया जा रहा था। सरकार ने इस स्कूल के संचालन में 1982 से 1995 तक 95 फीसदी सहायता प्रदान की थी। इसके बाद सरकार ने 100 फीसदी सहायता प्रदान कर दी, लेकिन समय के साथ-साथ स्कूल की बिल्डिंग जर्जर होती गई। वर्ष 2018 में गैर सरकारी संगठन सोशल ज्यूरिस्ट की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कहा कि स्कूल की इमारत जर्जर हो चुकी है, ऐसे में वहां पढ़ने वाले सैकड़ों बच्चों की जान खतरे में है। इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश पर आलोक पुंज सेकेंड्री स्कूल के छात्रों को आसपास के स्कूलों में भेज दिया। ऐसे में अब जमीन के मालिक तीनों भाई-बहन उस जमीन को सरकार को देना चाहते हैं ताकि उस पर सरकार नए सिरे से बहुमंजिला स्कूल का निर्माण हो सके, जिससे इलाके के हजारों बच्चों को समुचित शिक्षा मिले।