दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के मामले में संबंधित प्राधिकार द्वारा आवश्यक मंजूरी दाखिल करने के बाद गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किए गए 18 लोगों के खिलाफ राजद्रोह के अपराध का मंगलवार को संज्ञान लिया।
सभी आरोपियों के खिलाफ दूसरे पूरक आरोप पत्र में आवश्यक मंजूरी दाखिल किए जाने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने आईपीसी की धाराओं 124 ए (राजद्रोह), 153 ए (धर्म, भाषा एवं जाति के आधार पर वैमनस्यता को बढ़ावा देना), 109 (उकसाना) एवं 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दर्ज अपराधों का संज्ञान लिया।
इससे पहले अदालत ने पिंजरा तोड़ ग्रुप सदस्य और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की छात्राओं देवांगना कलिता एवं नताशा नरवाल, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा, गुलफिशां खातून, कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां, जामिया समन्वय समिति के सदस्यों सफूरा जरगर एवं मीरान हैदर के खिलाफ संज्ञान लेने के मामले को टाल दिया था।
इस मामले में शफा उर रहमान, आम आदमी पार्टी (आप) के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन, खालिद सैफी, शादाब अहमद, तसलीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान, अतहर खान, जेएनयू छात्र शरजील इमाम, जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद एवं फैजान को भी मामले में आरोपी बनाया गया है। इससे पहले अदालत ने यूएपीए की धाराओं 13, 16, 17, 18 तथा भारतीय दंड संहिता की धाराओं 147, 148, 149, 186 तथा 201 के तहत अपराधों का संज्ञान लिया था।
दंगों के कथित रूप से पूर्व निर्धारित साजिश का हिस्सा होने के लिए आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है। राजद्रोह के मामले में अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान है।