नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के लिए विभिन्न क्षेत्रों में किसानों के बीच जाकर पंचायत का आयोजन कर रही रालोद ने अब गौतमबुद्धनगर जिले के भट्टा पारसौल (Bhatta Parsaul) में 9 मार्च को किसान पंचायत के आयोजन का ऐलान कर दिया है।
रालोद के युवा नेता जयंत चौधरी ने अपने फेसबुक पेज पर इसकी घोषणा कर जानकारी दी है। उन्होंने 3 मार्च से लेकर 20 मार्च तक आयोजित होने वाली किसान पंचायतों की जानकारी इसमें दी है। किसान आंदोलन में भट्टा पारसौल का विशेष स्थान है और यहां पर आयोजित होने जा रही इस किसान पंचायत को भी अहम माना जा रहा है।
भट्टा पारसौल में किसानों ने लंबे समय तक संघर्ष किया है और सात मई 2011 को यहां पर चल रहे आंदोलन में हुई फायरिंग में दो किसानों और दो पुलिस कर्मियों की मौत हो गई थी और तत्कालीन डीएम दीपक अग्रवाल के पैर में भी गोली लगी थी। पंचायत के लिए रालोद के पदाधिकारियों ने किसानों के बीच जनसंपर्क करना भी शुरू कर दिया है और स्थानीय किसान संगठनों को भी आंदोलन से जोड़ने के लिए संपर्क जा रहा है। इसके अलावा और भी रणनीति बनाई जा रही है।
गौरतलब है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध अब भी बरकरार है। कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। इसके लिए दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन बीते साल 26 नवंबर से ही जारी है। किसानों ने सरकार से जल्द उनकी मांगें मानने की अपील की है। वहीं सरकार की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि कानून वापस नहीं होगा, लेकिन संशोधन संभव है।
बता दें कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं। केन्द्र सरकार सितम्बर में पारित किए तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।