रेलवे ट्रेनों का नाम बदलकर यात्रियों की जेब काट रहा है। सामान्य ट्रेनों को स्पेशल के नाम पर चलाए जाने से यात्रियों को 25 प्रतिशत तक की चपत लग रही है वहीं अब पैसेंजर गाड़ियों को अनारक्षित एक्सप्रेस बनाकर दोगुना किराया वसूलने की तैयारी है। इतना ही नहीं कोरोना के डर से एसी बोगियों में बेडरोल तो बंद कर दिया गया जबकि उसका किराया अभी तक यात्रियों को अदा करना पड़ रहा है।
वातानुकूलित बोगियों में बेड रोल दिए जाने की व्यवस्था है। इसमें दो चादर, एक कम्बल, एक तौलिया और एक तकिया रहता है। इन सभी के लिए 25 से 30 रुपये अतिरिक्त जोड़कर रेलवे किराया लेता है, जबकि गरीब रथ ट्रेनों के किराए में बेड रोल का शुल्क किराए में नहीं जुड़ा होता है। इसमें बेड रोल लेने वाले यात्रियों को ट्रेन में ही 25 रुपये अतिरिक्त शुल्क देना होता है।
ऐसे समझे वसूली का अंक गणित
अगर गोरखपुर से आनन्द विहार तक जाने वाली हमसफर एक्सप्रेस की बात करें तो इसमें 18 वातानुकूलित कोच हैं। एक कोच में 80 सीटें हैं। इस लिहाज से कुल 1440 सीट हुए। अगर इसी ट्रेन की बात करें तो 36 हजार रुपये सिर्फ एक ही ट्रिप में यात्रियों को चूना लग रहा है। ये तो सिर्फ एक ट्रेन की बात है। सभी ट्रेन को मिलाकर यह वसूली लाखों की है।
यात्री दर्ज करा चुके हैं शिकायत, रेल संगठन भी नाराज
इस मनमानी वसूली से जहां यात्री अपनी शिकायत दर्ज करा चुके हैं, वहीं रेल संगठन पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ के महामंत्री विनोद ने भी इस मनमाने रवैए पर जमकर नाराजगी जताई है। एआईआरएफ से अनुरोध कर इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने को कहा है।