महाराष्ट्र में कोरोना के संक्रमणों में अचानक आई वृद्धि के पीछे के कारणों का फिलहात पता नहीं चला है, लेकिन विशेषज्ञों का मनना है कि इसके कई कारण हैं। इनमें वायरस की बदलती प्रकृति भी शामिल है। राज्य के एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को वायरस की प्रकृति, वायरस से संक्रमित व्यक्ति और उससे होने वाले प्रसार और मौसम, प्रदूषण, आवास संरचना सहित एक क्षेत्र का समग्र वातावरण को इसका कारण बताया है। अधिकारी ने कहा कि यही बात महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में अचानक फैलने पर भी लागू हो सकती है।
महाराष्ट्र में बुधवार को 8,807 नए मामले दर्ज किए गए। यह बीते चार महीनों में सबसे ज्या है। पिछले साल 21 अक्टूबर को 8,142 मामले दर्ज किए थे। इसके बाद दैनिक मामलों की संख्या में लगातार गिरावट आई। हालांकि प्रसार केवल विदर्भ क्षेत्र में केंद्रित था, जिसमें अकोला, अमरावती, बुलदाना, यवतमाल, वाशिम, भंडारा, चंद्रपुर, गढ़चिरौली, गोंडा, नागपुर और वर्धा के 11 जिले शामिल थे।यह वृद्धि अब मुंबई और पुणे तक भी फैल गई है।
कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने के लिए महाराष्ट्र सरकार के तकनीकी सलाहकार डॉ. सुभाष सालुंके ने बुधवार को बताया कि अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह देश के अन्य राज्यों में भी फैल सकता है। अधिकारी ने मंगलवार को ही कोविड-19 का टीका लगवाया था। उन्होंने कहा कि जहां तक टीकाकरण की बात है, राज्य इससे बेहतर कर सकता था।
स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि बुधवार को भी जारी रही और राज्य में करीब चार महीने बाद एक दिन में आठ हजार से अधिक नये मामले सामने आये थे। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राज्य में अभी तक वायरस के कुल 21,21,119 मामले सामने आए हैं।
अधिकारी ने कहा कि इसे दूसरी लहर कहना कठिन होगा, लेकिन विदर्भ में वायरस के मामले बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब यह पुणे और मुम्बई जैसे अन्य जिलों में भी फैल रहा है। उन्होंने कहा, ”अगर इसे (महामारी को) नियंत्रित नहीं किया गया तो यह देश के अन्य राज्यों में भी फैल जाएगा। इसका प्रसार पूर्ण रूप से होगा इसे लेकर पक्के तौर पर तो कोई नहीं कह सकता, लेकिन इसमें प्रसार की क्षमता जरूर है।”