राजधानी दिल्ली के उत्तर पूर्वी जिले में 23 से 29 फरवरी 2020 को दो समुदाय के बीच दंगे हुए थे। इसमें चांदबाग, मुख्य वजीराबाद रोड, करावल नगर, शिव विहार, ब्रह्मपुरी आदि कई कॉलोनियों में एक वर्ष बीतने के बाद भी दंगों के बीच हुए उपद्रव, आगजनी, तोड़फोड़ के निशान दर्ज हैं। यहां कुछ लोग तो सरकारी व गैर सरकारी सहायता से दोबारा पटरी पर लौट आएं हैं। कुछ अपने काम को फिर से शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं, कुछ लोग अब भी ऐसे हैं जो नुकसान से उबर नहीं सके और अभी तक अपने काम को शुरू नहीं कर सके हैं। पेश है एक रिपोर्ट…
मार्केट वालों ने की मदद, सरकार से भी मिली सहायता
चांदबाग पुलिया से चंद कदमों की दूरी पर अशोक कुमार की गद्दे की दुकान है। उनकी पूरी दुकान दंगों में हुड़दंगियों ने जला दी थी। इसके बाद कोरोना आ गया, जिसके चलते दुकान बंद रही। करीब दो माह पूर्व अशोक ने दोबारा से दुकान शुरू की है। दुकान खोलने में सरकार से दो लाख सहायता राशि मिली और बाकी का आसपास के मार्केट वालों ने मदद की जिसमें सभी धर्म के लोग हैं। अशोक बताते हैं कि 24 फरवरी को जब दंगा शुरू हुआ वह करीब 12 बजे अपनी दुकान बंद कर नंदनगरी स्थित अपने घर चले गए। दोपहर करीब 3 बजे किसी पड़ोसी दुकानदार ने उन्हें फोन कर बताया कि उनकी दुकान किसी ने जला दी है। वह कई दिन तक परिवार के दबाव में दुकान पर नहीं आए। लेकिन दुकान के बारे में सोचकर वह सो नहीं पाते थे।
आर्थिक रूप से टूट गया
अशोक कहते हैं कि अब भी माहौल में डर है। कोई ऊंची आवाज में बात करता है तो डर लगता है। लाखों का नुकसान हो गया। अब काम भी पहले की तरह नहीं है। किसी तरह उधार लेकर काम शुरू किया है। यहीं चिंता सताती रहती है कि किया गया निवेश वापस कब तक आएगा। पत्नी व बच्चों के पालन-पोषण के लिए फिर से काम शुरू तो कर दिया लेकिन दंगों ने फिर कोरोना के चलते आर्थिक रूप से कमजोर हो गए हैं।
जली बाइकें, टूटी छत देख रो पड़ता हूं
करावल नगर रोड पर स्थित गिरी ऑटो मोबाइल के संचालक दलीप ने बताया कि 24 फरवरी 2019 की दोपहर करीब दो बजे बाद दंगाइयों की भीड़ उनके सर्विस सेंटर में घुसी। उनसे पहले मोबाइल व जेब में रखे पांच हजार रुपये छीने। फिर गल्ले में रखे करीब 2.50 लाख रुपये लूट लिए। उन्हें सर्विस सेंटर से छत के रास्ते कूदकर भागना पड़ा। जब वह बाद में किसी तरह लौटकर आए तो उनके सेंटर पर खड़ी करीब 16 बाइक पूरी तरह फूंकी खड़ी थीं। बाइक के करीब 25 लाख का स्पेयर पार्ट्स जला दिए गए थे। पूरा सर्विस सेंटर जला हुआ था। छत टूटी हुई थी।
सरकारी सहायता का इंतजार
दलीप ने कहा कि किसी तरह की सरकारी सहायता उन्हें अभी तक नहीं मिली है। 30 लाख से अधिक का नुकसान हो गया। पूरा सर्विस सेंटर राख हो गया। अब भी वह रोजाना जब जली हुई बाइकें, मलबे व टूटी छत को देखते हैं तो उनकी आंखें भर आती हैं। किसी तरह हिम्मत रखकर भविष्य में सब ठीक होगा यही आस लगाए बैठे हैं। उनका कहना था कि सर्विस सेंटर को फिर से खड़ा करने में लाखों रुपये लगेगा। वह चाहते हैं कि फिर से उनके सेंटर में रौनक आए लोग उनके यहां काम करें। लेकिन यह कब होगा उन्हें पता नहीं। किसी तरह अपना गुजारा चला रहे हैं।
भीड़ एकत्रित होते ही डर लगता
करावल नगर रोड स्थित जिस नाले से आईबी अधिकारी अंकित शर्मा की लाश मिली थी, उसके पास ही पान-बीड़ी का खोखा लगाने वाले ओम सिंह ने कहा कि दंगाइयों ने उनका पूरा खोखा जला दिया, उनके पैसे छीन लिए थे। अब भी कोई उनके आसपास झगड़ा करता है या भीड़ एकत्रित हो जाती है तो उन्हें डर लगता है। 24 फरवरी से 29 फरवरी के बीच नाले से शव मिलना, सड़क पर कई दिनों तक कई ट्रक मलबा पड़ा रहना, जला हुआ सामान अभी तक उनके जहन में वो तस्वीरें ताजा हैं। वहीं, खुद अपनी दुकान को बनवा रहे सते ने बताया कि उनकी हार्डवेयर व पेंट की दुकान थी जो पूरी तरह जल गई। किसी तरह हिम्मत जुटा फिर दुकान बनवा रहे हैं। सालभर से काम ठप है जिससे लाखों का नुकसान हो गया। दुकान में भी बड़ी मात्रा में सामान जलकर खाक हो गया था।