सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देते हुए हेलीकॉप्टर से दागी जाने वाली अत्याधुनिक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल हेलीना का राजस्थान में सफल परीक्षण किया गया। पोखरण में हुए परीक्षण में हेलीना मिसाइल अपने टारगेट पर हमला करने में 100 फीसदी सफल साबित हुई। यह मिसाइल किसी भी समय टारगेट पर अटैक करने में सक्षम है। अब यह भारतीय सेना और वायुसेना में शामिल होने के लिए तैयार है। इस मिसाइल का उस समय परीक्षण किया गया है, जब भारत की चीन और पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, पिछले पांच दिनों में एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल हेलीना का सात किलोमीटर से अधिक रेंज तक परीक्षण किया गया। पांचों बार मिसाइल ने बिल्कुल ठीक टारगेट पर हिट किया। अब यह एचएएल रूद्रा और हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर पर इंडक्शन के लिए तैयार है। आखिरी और फाइनल टेस्टिंग शुक्रवार सुबह की गई। परीक्षण के दौरान इन मिसाइलों को ALH ध्रुव हेलीकॉप्टर से लॉन्च किया गया था।
हेलीना मिसाइल एक तीसरी पीढ़ी का एंटी-टैंक हथियार है, जिसमें इन्फ्रा-रेड सीकर, फायर एंड फर्गट फीचर्स हैं। इसकी तुलना चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की वायर गाइडेड एचजे-8 और पाकिस्तान द्वारा बनाई गई लेजर गाइडेड मिसाइल BARQ से होती है।
हेलीना मिसाइल में किसी भी वेदर में कभी भी दिन या रात में दुश्मन देशों के टारगेट पर हमला करने की क्षमता है। इस मिसाइल के जरिए से टारगेट पर डायरेक्ट हिट और टॉप अटैक मोड, दोनों से हमला किया जा सकता है। मिसाइल के भारतीय वायुसेना के वर्जन को ध्रुवस्त्र कहा जाता है।
इससे पहले, फरवरी 2019 में ओडिशा के तट पर हेलीना मिसाइल की सफलतापूर्वक टेस्टिंग की गई थी। इस मिसाइल को अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विकसित किया है। इसे पूरी तरीके से स्वदेशी तकनीक से बनाया गया है।