स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने शुक्रवार को कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) परमपरागत चिकित्सा व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए भारत में आयुर्वेद का वैश्विक केन्द्र स्थापित करना चाहता है। डॉ हर्षवर्धन ने यहां पतंजलि की कोरोना की प्रमाणिक दवा कोरोनील को जारी करने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख ने पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आयुर्वेद को बढ़ावा देने को लेकर बातचीत की थी जिसमें उन्होंने भारत को इसका वैश्विक केन्द्र बनाने पर जोर दिया था। उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक बैठक जापान में हुई थी जिसमें 21 वीं सदी में स्वास्थ्य लक्ष्य को हासिल करने में परम्परागत चिकित्सा व्यवस्था को महत्वपूर्ण बताया गया था। इसके लिए आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने तथा इस पर वैज्ञानिक अनुसंधान पर जोर देने की अनुशंसा की गई थी।
डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आयुर्वेद को मान्यता दी है और इसकी प्रमाणिकता है। लोगों को निरोग बनाने में आयुर्वेदिक दवाओं की भूमिका को लेकर शक नहीं किया जाना चाहिए । उन्होंने कहा कि अथरवेद और चरक संहिता में आयुर्वेद की विस्तार से चर्चा है। छठी शताब्दी में आयुर्वेद का चीनी भाषा में अनुवाद किया गया था । बाद में परसियन और यूरोपीय भाषाओं में भी यह काम किया गया। उन्होंने कहा कि देश में अंग्रेजों के शासन के दौर भारतीय चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा नहीं दिया गया । दिल्ली में उन्होंने आयुर्वेद पर अनुसंधान के लिए एक केन्द्र की स्थापना की थी लेकिन बाद में सरकारों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने आयुर्वेद को आधुनिक वैज्ञानिक तरीके से रखे जाने पर जोर देते हुए कहा कि सभी चिकित्सा पद्धति को मानवता के कल्याण के लिए मिलकर काम करना चाहिए ।