दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट से कहा कि उसने किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी ‘टूलकिट’ शेयर करने के मामले में गिरफ्तार पर्यावरण एक्टिविस्ट दिशा रवि के मामले की जांच से जुड़ी कोई भी जानकारी मीडिया में लीक नहीं की है।
दिशा रवि ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अनुरोध किया है कि पुलिस को उनके खिलाफ दर्ज एफआईर से जुड़ी जांच की कोई भी सामग्री मीडिया में लीक करने से रोका जाए। पुलिस की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस प्रतिभा एम सिंह के समक्ष यह दलील दीं।
हाईकोर्ट ने पुलिस को यह हलफनामा दाखिल करने को कहा कि उसने मीडिया को जांच से संबंधित कोई भी सामग्री लीक नहीं की है। सुनवाई के दौरान, राष्ट्रीय प्रसारण मानक प्राधिकरण (एनबीएसए) और कुछ मीडिया हाउस के वकील उपस्थित नहीं थे, जिनके नाम याचिका में लिए गए हैं। इसके बाद अदालत ने उन्हें नोटिस जारी करते हुए कहा कि मामले पर आगे की सुनवाई शुक्रवार 19 फरवरी को होगी।
याचिका में मीडिया को उनकी वॉट्सऐप पर हुई बातचीत या अन्य चीजें प्रकाशित करने से रोकने का भी अनुरोध किया गया है। दिशा ने अपनी याचिका में कहा कि वह पूर्वाग्रह से ग्रसित उनकी गिरफ्तारी और मीडिया ट्रायल से काफी दुखी हैं, जहां उन पर प्रतिवादी 1 (पुलिस) और कई मीडिया घरानों द्वारा स्पष्ट रूप से हमला किया जा रहा है।
दिशा ने दावा किया कि दिल्ली पुलिस के साइबर सेल द्वारा 13 फरवरी को बेंगलुरु से उन्हें गिरफ्तार किया जाना पूरी तरह से गैरकानूनी और निराधार था। उन्होंने दलील दी कि मौजूदा परिस्थितियों में इस बात की काफी आशंका है कि आम जनता इन खबरों से याचिकाकर्ता को दोषी मान ले।
याचिका में कहा गया है कि इन परिस्थितियों में, और प्रतिवादी को उनकी निजता, उनकी प्रतिष्ठा और निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन करने से रोकने के लिए, याचिकाकर्ता वर्तमान याचिका को आगे बढ़ा रही है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि जांच संबंधी सामग्री मीडिया में लीक की जा रही है और पुलिस द्वारा किए जा रहे संवाददाता सम्मेलन पूर्वाग्रह से ग्रसित और उनके निष्पक्ष सुनवाई और उनके निर्दोष होने की संभावना के अधिकार का उल्लंघन करता है।
पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने किसानों के आंदोलन का समर्थन करने वाले ‘टूलकिट’ गूगल दस्तावेज को साझा किया था। ‘टूलकिट’ की जांच कर रही दिल्ली पुलिस ने बेंगलुरु की कार्यकर्ता दिशा रवि को गिरफ्तार किया है, जबकि मुम्बई की वकील निकिता जैकब और पुणे के इंजीनियर शांतनु मुलुक को अदालत ने अग्रिम जमानत दे दी है