नए कृषि कानूनों के विरोध में गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा का एक आरोपी सुखदेव सिंह घटना के बाद सिंघु बॉर्डर और बाद में पंजाब गया था।
दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने बताया कि वह लाल किले पर 26 जनवरी की हिंसा में शामिल प्रमुख अभियुक्तों में से एक था और हिंसा के दिन रात लगभग 10 बजे तक लाल किले पर ही मौजूद था और देर रात सिंघु बॉर्डर पर चला गया था। दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने रविवार को चंडीगढ़ से सुखदेव सिंह को गिरफ्तार किया था।
दिल्ली पुलिस के अनुसार, सुखदेव सिंह लाल किले पर भीड़ का नेतृत्व कर रहा था और हिंसा में उसकी भूमिका बहुत सक्रिय पाई गई थी। इसके लिए उस पर 50,000 रुपये का इनाम घोषित किया गया था।
गणतंत्र दिवस पर, ट्रैक्टर परेड के दौरान प्रदर्शनकारियों ने पहले से तय मार्ग का पालन नहीं किया और बैरिकेड्स को तोड़ते हुए दिल्ली में प्रवेश कर गए थे। ट्रैक्टर परेड के दौरान प्रदर्शनकारियों की दिल्ली के कई हिस्सों में पुलिस के साथ झड़पें हुईं और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। इसके बाद बेकाबू भीड़ लाल किले में घुस गई और प्राचीर से पर धार्मिक झंडा लगा दिया था।
दिल्ली पुलिस के अनुसार, 26 जनवरी की हिंसा में कथित रूप से शामिल होने के लिए पुलिस ने जजबीर सिंह, बूटा सिंह, सुखदेव सिंह और इकबाल सिंह की गिरफ्तारी के लिए 50,000 रुपये के इनाम की घोषणा की थी।
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध अब भी बरकरार है। कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। इसके लिए दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन आज 78वें दिन भी जारी है। नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन को तेज करते हुए प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों ने 18 फरवरी को चार घंटे के राष्ट्रव्यापी ‘रेल रोको’ अभियान की घोषणा की है। किसान नए कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी पर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि जब तक इन कानूनों को रद्द नहीं किया जाता किसान वापस नहीं लौटेंगे।
बता दें कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं। केन्द्र सरकार इन कानूनों को जहां कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।