राजस्थान की गहलोत सरकार ने सूबे में हुए निकाय चुनावों में अपना दमखम दिखा दिया है। प्रदेश के बीस जिलों की नब्बे निकायों के चुनाव में 48 बोर्ड सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के है, वही विपक्ष में बैठी भाजपा ने भी 37 बोर्डों में काबिज़ रही। गौर करने की बात है कि, सबसे बड़े नगर निगम में भाजपा के प्रत्याशी को कोई डिगा नहीं पाया है। हालांकि, यदि पिछले चुनावों की तुलना करे तो राज्य के निकाय चुनावों में कांग्रेस को दोगुना और भाजपा को आधे निकाय ही मिले हैं। वहीं, सूबे में सबसे रोचक मुकाबला कुचामन नगर पालिका में रहा, जहां भाजपा की क्रॉस वोटिंग की वजह से 38 साल बाद कांग्रेस के हाइब्रिड प्रत्याशी की जीत हुई।
सूबे में 20 जिलों के 90 निकायों पर 28 जनवरी को मतदान हुआ था। भाजपा के 37 और कांग्रेस के 48 अलावा दूसरी तरफ प्रदेश में बड़े किसान नेता की छवि बनाने वाले और बड़े-बड़े दावे करने वाले आरएलपी प्रमुख व सांसद हनुमान बेनीवाल केवल एक बोर्ड बनवाने में सफल हो पाए। साथ ही निकाय चुनावों में एनसीपी, जनता सेना ने भी एक-एक निकाय में अपना बोर्ड बनाया है। दूसरी ओर दो निकाय ऐसे भी हैं, जिन पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने कब्जा किया है। तीन निकायों में पहले ही अध्यक्ष पद के लिए निर्विरोध निर्वाचन हो चुका है।
ज्ञात हो की इन 90 निकायों में सबसे बड़ा चुनाव अजमेर नगर निगम का था, जहां भाजपा की ब्रजलता हाड़ा ने अपना किला मजबूती से सुरक्षित रखा और वह अजमेर से मेयर चुनी गई हैं। बता दें कि, यहां पहले भी भाजपा का बोर्ड था। इन चुनावों में राज्य के 9 नगर परिषदों में कांग्रेस ने 3 पर और भाजपा ने 5 पर जीत दर्ज की। नागौर नगर परिषद में निर्दलीय को सभापति चुना गया है। कांग्रेस ने नगर पालिकाओं में भाजपा से ज्यादा 45 बोर्ड बनाए हैं। जबकि भाजपा सिर्फ 31 नगर पालिकाओं में ही अपने बोर्ड बना पाई है।
इन निकाय चुनावों के मद्देनजर एक बात और नयी रही की इस बार गहलोत सरकार के नए नियम हाईब्रिड पावर नियम भी इस चुनाव में लागू हुए। इस नियम के तहत कोई भी व्यक्ति बिना पार्षद का चुनाव लड़े सीधा चेयरमैन पद के लिए चुनाव लड़ सकता है। लेकिन शर्त यह है कि, चुनाव जीतने के बाद उस व्यक्ति को छह महीने के अंदर पार्षद बनना होगा।