उत्तराखंड में रविवार को चमोली जिले स्थित ऋषिगंगा में आई बाढ़ से पैदा हालात से निपटने के लिए सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और राज्य पुलिस के एक हजार से अधिक जवानों को बचाव और राहत अभियान में लगाया गया। इस आपदा में तपोवन-रैणी क्षेत्र में स्थित ऊर्जा परियोजना में काम करने वाले करीब दो सौ से ज्यादा कर्मी अभी भी लापता हैं। जबकि, सुरंग के अंदर अभी भी करीब 30-35 श्रमिक फंसे हुए हैं। टनल के अंदर फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए राहत व बचाव का कार्य युद्ध स्तर से जारी है। ग्लेशियर टूटने के चलते अलकनंदा और धौली गंगा उफान पर हैं। ऋषिगंगा प्रोजेक्ट की सुरंग में फंसे लोगों को निकालने का अभियान रविवार देर रात नदी का जल स्तर बढ़ने के कारण रोकना पड़ा है। लेकिन, सोमवार सुबह-सुबह ही बचाव का कार्य शुरू कर दिया गया था।
सोमवार सुबह से ही बहादुर जवान रेस्क्यू कार्यों में जुटे हुए हैं। नदी में बाढ़ आने की वजह से सुरंग में पानी भर गया था। पानी निकासी के बाद सुरंग के अंदर चारों ओर मलबा व गाद भरा हुआ है। करीब 180 मीटर लंबी सुरंग में राहत कार्यों में जुटे जवानों को फंसे श्रमिकों को बचाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। बता दें कि सुरंग के अंदर अभी भी 35 के करीब श्रमिक फंसे हुए हैं। जवानों द्वारा जेसीबी और अन्य अत्याधुनिक मशीनों के सहारे रेस्क्यू कार्य किया जा रहा है। दिनभर भी कड़ी मेहनत के बाद जवान आखिरकार सुरंग के अंदर दाखिल हो गए हैं। सूत्रों की मानें तो रेस्क्यू कार्य देररात तक जारी रहेगा ताकि टनल के अंदर फंसे श्रमिकों की जान बचाई जा सके।
एसडीआरएफ की पुलिस उपमहानिरीक्षक रिधिम अग्रवाल ने बताया कि आपदाग्रस्त क्षेत्रों में बचाव कार्य के लिए सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ सहित एसडीआरएफ के जवान ऐड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। सुरंग में से मलबा हटाने का कार्य युद्ध स्तर से किया जा रहा है। बता दें कि एनडीआरएफ जवानों की एक टुकड़ी पहले ही चमोली रवाना हो चुकी है। उत्तराखंड के चमोली जिले की चीन सीमा से जुड़े क्षेत्र में रविवार को एक ग्लेशियर के टूटन जाने से भारी तबाही मच गई। इस घटना ने देशभर के लोगों को झकझोर कर रख दिया है। सैलाब की चपेट में आए ज्यादातर लोग रैंणी और तपोवन की बिजली प्रोजेक्ट से जुडे़ हैं।
बता दें कि अबतक 18 शव मिल चुके हैं जबकि 202 लोग अभी भी लापता हैं। एसडीआरएफ के मीडिया इंचार्ज प्रवीन आलोक ने बताया कि घटना स्थल से दोपहर 12 बजे तक 18 शवों को निकाल लिया गया है। राहत व बचाव का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। मतलबा व गाद आने से फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए एसडीआरएफ के 70 जवान, एनडीआरएफ की दो टीमें, आईटीबीपी के 425 जवान और एसएसबी सहित सेना के 125 जवान राहत कार्य में लगे हुए हैं।इसके अलावा बिहार, मध्यप्रदेश, यूपी और हिमाचल के हैं। किस प्रदेश के कितने हैं इसकी जानकारी नही है।
उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से आस-पास के इलाकों में काफी तबाही हुई है। ग्लेशियर टूटने के चलते अलकनंदा और धौली गंगा उफान पर हैं। ऋषिगंगा प्रोजेक्ट की सुरंग में फंसे लोगों को निकालने का अभियान रविवार देर रात नदी का जल स्तर बढ़ने के कारण रोकना पड़ा है। करीब ढाई सौ मीटर इस सुरंग में अब भी 30-35 से अधिक लोगों के फंसे होने की संभावना है। चमोली के आपदा प्रभावित इलाकों में सेना, आइटीबीपी, एसएसबी और एसडीआरएफ की टीमें बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। चमोली पुलिस के अनुसार, टनल में फंसे लोगों के लिए राहत एवं बचाव कार्य जारी है। जेसीबी की मदद से टनल के अंदर पहुंच कर रास्ता खोलने का प्रयास किया जा रहा है।