राजधानी दिल्ली में इजराइली दूतावास के पास हुए ब्लास्ट मामले की जांच के दौरान मौके से लिफाफा मिलने के बाद से ही इस घटना के पीछे ईरान कनेक्शन को लेकर तफ्तीश आगे बढ़ाई जा रही है। इस कारण जांच में जुटी एजेंसियां ईरानी नेटवर्क को खंगाल रही हैं। अबतक जांच टीम 8 ईरानी समेत 14 संदिग्धों से शक के आधार पर पूछताछ कर चुकी है, जबकि घटनास्थल के अलावा आसपास के कई किलोमीटर के इलाके में लगे 60 से ज्यादा सीसीटीवी को भी खंगाला जा चुका है। वहीं ईरानी बदमाशों के डोजियर(आपराधिक रिकॉर्ड) भी खंगाले गए, लेकिन पुलिस अभी किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है।
मामले की जांच न केवल दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल कर रही है बल्कि एनआईए, आईबी और अन्य जांच एजेंसियां भी जुटी हुई हैं। खुद भारत सरकार इस मामले की जांच को लेकर काफी गंभीर है और यही वजह भी है कि देश की सभी प्रमुख जांच एजेंसियों को इस मामले की जांच गंभीरता पूर्वक करने को कहा गया है। इसलिए पुलिस और अन्य जांच एजेंसियां इस मामले की जांच से जुड़े अहम तथ्यों को सार्वजनिक करने से भी बच रहे हैं, क्योंकि ऐसा करने से कहीं न कहीं जांच प्रभावित हो सकती है और जो लोग इस पूरी वारदात में लिप्त हैं, वे भी सचेत हो सकते हैं।
क्यों है ईरानी नेटवर्क पर है शक की सुई
ईरानी कनेक्शन पर शक की सुई जाने का ठोस कारण भी है। दरअसल इसके पहले वर्ष 2012 में इजरायली दूतावास की कार पर स्टिकी बम लगाकर धमाका किया गया था। उसमें भी ईरान के ही संगठन का नाम सामने आया था। इस बार भी ईरान के संगठन पर ही शक की सुई इसलिए घूम रही है, क्योंकि पिछले कुछ समय की बात करें तो ईरान के कुछ महत्वपूर्ण लोगों की हत्या की गई है, जिसके लिए ईरान इजराइल को जिम्मेदार ठहराया था। उपर से मौके से मिले लिफाफा को लेकर शक और भी गहरा गया है। इसलिए ब्लास्ट के पीछे ईरान की ओर ही इशरार जा रहा है। उधर जांच एजेंसियों ने एपीजे अब्दुल कलाम रोड पर लगे कई सीसीटीवी कैमरो की फुटेज को खंगाला है, लेकिन फुटेज हासिल करने के बाद भी अभी तक कोई संदिग्ध पुलिस के हाथ नहीं लगा है।
ईरानियों की जानकारी भी जुटा रही है पुलिस
पुलिस का कहना है कि इस धमाके के बाद एफआरआरओ से उन ईरानी नागरिकों की जानकारी जुटाई गई है, जो पिछले 15 दिनों से लेकर 1 महीने के बीच में ईरान से भारत आए हैं। इसके अलावा 29 फरवरी को शाम के समय जाने वाली तीन अंतर्राष्ट्रीय फ्लाइट को भी रुकवा कर, उनके पैसेंजर की डिटेल्स वेरीफाई की गई है। ईरान के नागरिकों के अलावा पुलिस को शक है कि इस मामले में लोकल टूल के तौर पर ऐसे छात्रों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है, जो ईरान से पढ़कर आए हों। इस वजह से कुछ अफगानिस्तान के नागरिकों को भी शक के दायरे में रखा गया है। हालांकि पुलिस अभी तक जांच से जुड़े कोई भी ठोस तथ्य सामने नहीं रखी है क्योंकि ऐसा करने से जांच प्रभावित हो सकती है