मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आरोपी हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के खिलाफ दिल्ली की अदालत ने शनिवार को आरोप तय कर दिए हैं। अदालत ने इस मामले में गवाहोंं के बयान दर्ज होने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए अगली तारीख 27 फरवरी तय की है। अदालत ने अभियोजन पक्ष को कहा है कि अगली तारीख से गवाहों के बयान दर्ज कराने शुरू किए जाएं। इसके लिए गवाहों को समन जारी कर दिए जाएं।
तीस हजारी अदालत ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के खिलाफ आरोप तय करते हुए कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने आरोपी के खिलाफ आरोप तय तय करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य व गवाह पेश किए हैं। अदालत ने आगे कहा कि प्रथमदृष्टया आरोपी चौटाला के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए उपयुक्त साक्ष्य रिकॉर्ड पर मौजूद हैं, इसलिए अदालत इस मामले में चौटाला के खिलाफ मुकदमा चलाने को हरी झंडी देती है।
साथ ही अभियोजन पक्ष को कहा गया है कि वह भी गवाहों को बयान दर्ज कराने के लिए अगली तारीख के लिए समन जारी कराने की प्रक्रिया को पूरा करे। पेश मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अप्रैल 2019 में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ओम प्रकाश चौटाला के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल करते हुए आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने मुख्यमंत्री कार्याकाल में बेहिसाब बेनामी संपत्ति जोड़ी। इस संपत्ति में से बड़ी मात्रा में नकदी चौटाला व उनके परिवार के सदस्यों के बैंक खाते में जमा कराए गए, जबकि इसी संपत्ति से बहुत सारी अचल संपत्ति भी खरीदी गई व उन पर निर्माण कार्य कराया गया।
ईडी ने धन का हिसाब आरोपपत्र में दिया
ईडी की तरफ से अदालत में दायर पूरक आरोपपत्र में कहा कि ओम प्रकाश चौटाला 24 मई 1993 से 5 मई 2006 के बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। इस बीच अपनी वास्तविक आय से छह करोड़ 9 लाख 79 हजार 26 रुपये से ज्यादा की संपत्ति अर्जित की, जिसका हिसाब भी वह जांच एजेंसी के समक्ष नहीं दे पाए। ज्ञात रहे कि ओम प्रकाश चौटाला इस समय वर्ष 2000 में 3206 शिक्षकों की भर्ती घोटाला में सजायाफ्ता है।