भारतीय कानून का उल्लंघन करने पर अदालत ने श्रीलंकन एयरलाइंस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। अदालत ने माना है कि श्रीलंकन एयरलाइंस ने भारतीय कानून के मुताबिक, कार्यस्थल पर यौन शोषण के मामलों पर निगरानी के लिए आंतरिक शिकायत समिति का गठन नहीं किया।
पटियाला हाउस स्थित मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट देव सरोहा की अदालत ने इस मामले में आदेश सुनाते हुए कहा कि विदेशी कंपनी के व्यवहार से साफ है कि उसने भारतीय कानून का अनादर किया है, इसलिए विदेशी कंपनी को इसका दोषी ठहराते हुए 50 हजार रुपये का जुर्माना भरने के निर्देश दिए जाते हैं। इससे पहले अदालत श्रीलंकन एयरलाइंस को कार्यस्थल पर महिला कर्मी के साथ यौन शोषण (रोकथाम, निवारण व समाधान) कानून 2013 की धारा 26 के तहत दोषी ठहरा चुकी है।
साथ ही पूर्व में ही श्रीलंकन एयरलाइंस के पूर्व क्षेत्रीय प्रबंधक (भारतीय जोन) को दिल्ली के डिवीजनल कार्यालय में कार्यरत एक कनिष्ठ महिला कर्मचारी के साथ यौन शोषण के मामले में दोषी ठहराया जा चुका है।
इस मामले में टिप्पणी करते हुए अदालत ने कहा कि जिस समय यौन शोषण की यह शिकायत की गई। उस समय विदेश कंपनी की एयरलाइंस में भारतीय कानून के हिसाब से आंतरिक शिकायत समिति नहीं थी। अदालत ने आगे कहा कि इस मामले की पीड़िता ने घटना के तुरंत बाद विदेशी कंपनी के आला अधिकारियों को शिकायत की। काफी समय तक वह इस शिकायत के जवाब का इंतजार करती रही, लेकिन उसकी किसी ने नहीं सुनी। इसके बाद पीड़िता ने भारतीय काानून का सहारा लिया और पुलिस में शिकायत दाखिल की। बचाव पक्ष के एक सवाल का जवाब देते हुए पीड़िता ने कहा कि उसने पहले कंपनी के आला अधिकारियों पर ही कार्रवाई का भरोसा किया जिसकी वजह से शिकायत दाखिल करने में देरी हुई। अदालत ने भी पीड़िता की इस दलील को स्वीकार किया है।
अदालत ने कहा कि इस तरह के मामले में महिला के लिए न केवल सामाजिक सम्मान को बचाने की चुनौती होती है, बल्कि नौकरी की चुनौती भी होती है। पेश मामले में आरोप है कि विदेशी कंपनी के आरोपी अधिकारी ने 08 अक्टूबर 2009 को पीड़िता को अपने कमरे में बुलाया और उसके साथ सम्मान को ठेस पहुंचाने जैसे सवाल व कृत्य को किया।