72वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित की गई किसानों की ट्रैक्टर परेड में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सरकार पर निशाना साधा है। बनर्जी ने केंद्र सरकार से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है। इसके साथ ही, उन्होंने कानूनों को तानाशाही कानून बताए हैं। दिल्ली में मंगलवार दिनभर मचे रहे बवाल के बाद ममता बनर्जी ने ट्वीट्स करके सरकार पर हमला बोला है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली में हुए हिंसक प्रदर्शनों पर कहा कि केंद्र को किसानों से बातचीत करनी चाहिए और तानाशाही कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र के असंवेदनशील रवैये, किसानों के प्रति उदासीनता को दोषी ठहराया जाना चाहिए।बनर्जी ने ट्वीट किया, “दिल्ली की सड़कों पर चिंताजनक और दर्दनाक घटनाक्रम काफी परेशान करने वाले हैं।” उन्होंने कहा कि पहले इन कानूनों को किसानों को विश्वास में लिए बिना पारित किया गया और फिर भारत भर में विरोध प्रदर्शन और पिछले 2 महीनों से दिल्ली के पास डेरा डाले हुए किसानों से निपटने में वे बेहद लापरवाह रहे।
उल्लेखनीय है कि लाठी-डंडे, राष्ट्रीय ध्वज एवं किसान यूनियनों के झंडे लिए हजारों किसान मंगलवार को गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टरों पर सवार हो बैरियरों को तोड़ व पुलिस से भिड़ते हुए लाल किले की घेराबंदी के लिए विभिन्न सीमा बिंदुओें से राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल हुए थे। लाल किले में किसान ध्वज-स्तंभ पर भी चढ़ गए। हालांकि, बाद में प्रदर्शनकारियों को लाल किले के परिसर से हटा दिया गया। पुलिस ने कुछ जगहों पर अशांत भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।
शरद पवार भी केंद्र सरकार पर बरसे
कृषि कानूनों को लेकर सिर्फ ममता बनर्जी ही नहीं, बल्कि एक और विपक्षी नेता और एनसीपी चीफ शरद पवार ने भी सरकार पर निशाना साधा और कानूनों को वापस लेने के लिए कहा। पवार ने कहा कि पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने अनुशासित तरीके से विरोध किया, लेकिन सरकार ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया। संयम समाप्त होते ही ट्रैक्टर मार्च निकाला गया। केंद्र सरकार की जिम्मेदारी कानून और व्यवस्था को नियंत्रण में रखने की थी, लेकिन वह विफल हो गई। एनसीपी प्रमुख ने कहा कि आज जो कुछ भी हुआ उसका कोई भी समर्थन नहीं करेगा लेकिन इसके पीछे के कारण को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। जो लोग शांति से बैठे हुए थे, वे गुस्से में आ गए। केंद्र ने अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं की।