प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) को उम्मीद है कि दोनों चीनी नागरिकों जू जूंफू उर्फ जुलाही तथा पोंचली तेंगली उर्फ ली तेंग ली से पूछताछ में ही असली राज सामने आएगा। दोनों की कस्टडी रिमांड के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दे दिया गया है, जिस पर बुधवार को सुनवाई होने की संभावना है। पूछताछ के लिए एटीएस किसी चीनी भाषा के जानकार द्विभाषिए की मदद लेने का भी प्रयास कर रही है।
अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम गैंग से जुड़े इन दोनों चीनी नागरिकों को विगत शनिवार को गौतमबुद्धनगर (नोएडा) से गिरफ्तार किया गया था। दोनों बिजनेस वीजा पर भारत आए हुए हैं लेकिन उनकी वीजा की अवधि वर्ष 2020 में ही समाप्त हो चुकी है। इस गैंग के 14 अभियुक्तों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। दोनों से प्रारंभिक पूछताछ में पता चला कि वे 150 भारतीय मोबाइल नंबरों पर व्हाट्सअप रजिस्ट्रेशन के लिए जेनरेटेड ओटीपी चीनी नागरिकों के साथ शेयर कर चुके हैं। ये ओटीपी वे चीनी मैसेंजिंग ऐप वी-चैट के माध्यम से भेजते थे।
हालांकि अभी ये दोनों इस बात की जानकारी होने से इनकार कर रहे हैं कि इन 150 भारतीय नंबरों से ऐक्टिवेटेड व्हाट्सअप कहां पर हैं और किसके द्वारा संचालित किए जा रहे हैं? कस्टडी रिमांड मिलने के बाद एटीएस यह जानने का प्रयास भी करेगी कि गुरुग्राम (हरियाणा) स्थित होटल के चीनी मूल के मालिक (पति-पत्नी) किस तरह इस मामले से जुड़े हैं? चीनी मूल के ही होटल मैनेजर की क्या भूमिका है? जेल भेजे गए दोनों चीनी नागरिक इस होटल के मैनेजर को अब तक लगभग एक हजार प्री-ऐक्टिवेटेड भारतीय मोबाइल सिम उपलब्ध करा चुके हैं।
सूत्रों के अनुसार एटीएस अभी इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है कि यह गिरोह वास्तव में टेरर फंडिंग, हवाला कारोबार या चीन के लिए जासूसी के मकसद से काम कर रहा था। चीनी नागरिकों की गिरफ्तारी होने से इस मामले में देश की अन्य सुरक्षा एजेंसियों की भी दिलचस्पी बढ़ी है। फर्जी कागजातों एवं प्री-ऐक्टिवेटेड सिम का इस्तेमाल कर आनलाइन बैंक खाते खोलकर किए गए पैंसों के लेन-देन की गहराई से जांच चल रही है। इन बैंक खातों में आज्ञात स्रोतों से धन जमा किया गया है और उसे प्री-ऐक्टिवेटेड मोबाइल नंबरों पर कार्ड-लेस मोड से एटीएम या अन्य माध्यमों से निकाला गया है।