मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापम घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक अदालत ने शुक्रवार को एक डॉक्टर को धोखाधड़ी का दोषी पाते हुए पांच साल की कैद और 1000 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक रंजन शर्मा ने एएनआई को बताया, “अभियुक्त मनीष कुमार को 2004 में संत कुमार के स्थान पर प्री-मेडिकल प्रवेश परीक्षा लिखते हुए खंडवा से फ्लाइंग स्क्वाड द्वारा पकड़ा गया था। मनीष कुमार, संत कुमार और तरुण कुमार के खिलाफ खंडवा में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था।”
उन्होंने कहा, ‘बाद में संत कुमार और तरुण कुमार को अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। मनीष जमानत मिलने के बाद लापता हो गया।” सीबीआई के अनुसार, आरोपी मनीष कुमार पटना में मेडिकल प्रवेश परीक्षा देने के बाद डॉक्टर बना था।
मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाला सामने आने के बाद 2018 में मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था। सीबीआई ने मनीष कुमार को पटना से गिरफ्तार किया और अदालत में पेश किया, जिसके बाद मुकदमा शुरू हुआ।
व्यापम घोटाले में मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा बोर्ड में धोखाधड़ी शामिल थी, जिसका 2013 में खुलासा हुआ था। इसमें मेडिकल छात्रों और राज्य सरकार के कर्मचारियों के चयन के लिए व्यापम द्वारा आयोजित 13 विभिन्न परीक्षाएं शामिल थीं।