दिल्ली नगर निगमों के डॉक्टरों, नर्सों, शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन व पेंशन नहीं दिए जाने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी गैर जिम्मेदार अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि स्थिति नहीं बदली और इसी तरह से चलती रही तो, हमें इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा कि राजनीतिक दलों के नेताओं और इनसे जुड़े लोगों को जनता द्वारा बड़े पैमाने पर लिंच्ड यानी पिटाई करना शुरू कर देगी।
जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली की बेंच ने दिल्ली सरकार को दो सप्ताह के भीतर नगर निगमों को उनके बकाया ऋणों के बदले समायोजित की गई रकम वापस करने का आदेश देते हुए यह टिप्पणी की है। बेंच ने कहा कि हमारे विचार में इन परिस्थितियों में दिल्ली सरकार द्वारा ऋण वसूली के मद में पैसे की कटौती को उचित नहीं ठहराया जा सकता है, खासकर तब जब नगर निगमों से ऋण की वसूली पर पिछले तीन सालों से विचार किया जा रहा हो। बेंच ने धन की कमी और वेतन व पेंशन के भुगतान नहीं करने की समस्या इसलिए उत्पन्न हो गई है क्योंकि दिल्ली सरकार, नगर निगमों और केंद्र सरकार के बीच सैंडविच की तरह हो गई है क्योंकि दिल्ली में सरकार विपक्षी राजनीतिक दल की है।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि अपने-अपने राजनेताओं को बताएं कि उन्हें परिपक्व होना है और इन सबसे ऊपर उठना है। हाईकोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि स्थिति नहीं बदली और इसी तरह से चलती रही तो हमें आश्चर्य नहीं होगा कि जनता बड़े पैमाने में राजनीतिक दलों के नेताओं और इससे जुड़े लोगों को की पिटाई शुरू कर देगी।
जस्टिस सांघी ने कहा कि ‘मैं यह नहीं बता सकता कि हम (दिल्ली सरकार और नगर निगम) आप सभी से कितनी घृणा करते हैं, आपको कर्मचारियों के लिए कोई चिंता नहीं है। उन्होंने कहा कि आप पूरी तरह से गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार कर रहे हैं। साथ ही यह भी कहा कि आपको (सरकार और निगमों) को कर्मचारियों और सेवानिवृत पेंशनरों की परवाह नहीं है। हाईकोर्ट ने उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी दिल्ली नगर निगमों के डॉक्टरों, नर्सों, शिक्षकों सहित अन्य कर्मचारियों के वेतन और पेंशन नहीं दिए जाने से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने नगर निगमों को जो सरकार से रकम मिली है या मिलेगी वह किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं बल्कि सिर्फ वेतन और पेंशन जारी करने और पिछला बकाया देने में खर्च किया जाएगा।
हाईकोर्ट ने नगर निगम के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि वे अक्टूबर, 2020 से अब तक का बकाया वेतन और पेंशन को का भुगतान करेंगे और बाकी बचे रकम को समान रूप से उपयोग किया जाएगा।
कैग से विज्ञापन की करा सकते हैं जांच
हाईकोर्ट ने कोरोना महामारी के दौरान बड़े पैमाने पर दिल्ली सरकार द्वारा नियमित तौर पर अखबारों में विज्ञापन दिए जाने पर भी सवाल उठाया। साथ ही सरकार को नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) से इसकी जांच कराने की चेतावनी दी। बेंच ने कहा कि महामारी के दौरान आपने कितने विज्ञापन जारी किए, हम जानना चाहते हैं, आप हर दिन अखबारों में पूरा पन्ना विज्ञापन जारी कर रहे हैं। बेंच ने कहा कि हम इसकी कैग से कराएंगे। साथ ही कहा कि आपके पास विज्ञापन के लिए पैसे हैं, कर्मचारियों के वेतन के लिए नहीं। बेंच ने यह टिप्पणी तब की जब सरकार की ओर से वकील ने राजस्व कम आने के चलते पैसे की कमी का हवाला दिया।
पैसे नहीं देने पर कहेंगे काम पर मत लौटो
हाईकोर्ट ने कहा कि सफाई कर्मचारी जो प्रतिदिन लोगों के घरों और आसपास को साफ करते हैं, उन्हें वेतन नहीं दिया जा रहा है। बेंच ने कहा कि यदि वेतन का भुगतान नहीं किया जाता है तो हम उन्हें (कर्मचारी) को कहेंगे कि कल से काम पर मत आओ। हाईकोर्ट ने कहा है कि हम देखते हैं कि कैसे आपका घर या अस्पताल साफ होता है। बेंच ने दिल्ली सरकार और नगर निगमों से कहा कि आप लोग कुत्ते-बिल्ली की तरह एक-दूसरे से लड़ रहे हैं। इसके साथ ही बेंच ने कहा कि हम आप और आपके नेताओं के व्यवहार से शर्मसार हैं।
सरकार ने 5 निकायों को 337 करोड़ रुपये जनवरी में दिए
दिल्ली सरकार की ओर से वकील सत्यकाम ने बेंच को बताया कि तीनों नगर निगमों सहित पांच स्थानीय निकायों को जनवरी, 2021 में 337 करोड़ रुपये जारी किया है। उन्होंने कहा कि इस बार ऋण वापसी के मद में किसी तरह की कटौती नहीं की गई। उन्होंने बेंच को बताया कि कोरोना महामारी के मद्देनजर वित्तीय वर्ष 2020-21 में राजस्व में काफी कमी आई है। इस पर पीठ ने कहा कि इससे जाहिर होता है कि सरकार और नगर निगमों से संबंधित राजनीतिक दलों को कर्मचारियों के प्रति कोई सहानुभुति नहीं है।
नगर निगम को कितनी रकम देनी है बताओ
हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को हलफनामा दाखिल कर यह बताने के लिए कहा है कि बजट और संशोधित प्रस्ताव के हिसाब से कितनी रकम दी जानी है। नगर निगमों को भी हलफनामा दाखिल कर अप्रैल, 2020 से खर्च बताने को कहा गया है। नगर निगमों को जरूरी और गैर जरूरी फंड्स के बारे में भी बेंच ने जानकारी देने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 22 फरवरी होगी।