भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान लगातार जारी है। लेकिन कुछ राज्यों ने सूचना दी है कि उनके यहां पर्याप्त हेल्थ वर्कर वैक्सीन लगवाने सामने नहीं आ रहे हैं जिससे वैक्सीन की खुराक बर्बाद हो रही है। दरअसल लोग झिझक रहे हैं। इसको लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने आज कहा कि यह संदेश स्पष्ट है कि टीका पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी है।
उन्होंने कहा कि बताई जा रही प्रतिकूल घटनाओं या साइड इफेक्ट सरफेसिंग आम हैं और यह किसी भी टीकाकरण के बाद देखा जा सकता है। कोविड-19 के ताबूत में ये टीकाकरण अंतिम कील की तरह होगा। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग राजनीतिक कारणों से टीकाकरण के बारे में गलत जानकारी फैला रहे हैं। इससे लोगों के एक समूह में वैक्सीन को लेकर झिझक पैदा हो गई है। बता दें कि बुधवार को कम से कम छह राज्यों के अधिकारियों ने कहा कि कोरोनावायरस वैक्सीन की खुराक बेकार जा रही है क्योंकि लोग नहीं आ रहे हैं।
देश में लगातार कई राज्य वैक्सीन हिचकिचाहट की समस्या को रेखांकित कर रहे हैं. अब ये समस्या आविष्कारों को प्रभावित कर सकती हैं।कोविड -19 टीकाकरण कार्यक्रम के लिए भारत की शुरुआत दुनिया में सबसे मजबूत शुरुआतों में से एक रही है, किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत मे वैक्सीन पहले दिन अधिक लोगों तक पहुंची है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 16 जनवरी को लॉन्च के बाद से बुधवार को शाम 6 बजे तक आयोजित 14,119 सत्रों में 786,842 लोगों को टीका लगाया गया था। लेकिन यह अभी भी तय किए गए लोगों का 55% है – हर दिन, 100 लोगों को प्रत्येक सत्र के लिए चुना जाता है और आमंत्रित किया जाता है और औसतन उनमें से लगभग 45 लोग टीका लगवाने नहीं आ रहे हैं।
विशेषज्ञों ने अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच बढ़ाने का आह्वान किया है कि जिसमें उनका कहना है कि लक्ष्य पूरा हो सके इसके लिए सिर्फ स्वास्थ्य देखभाल कर्मी ही नहीं बल्कि आम जनता तक भी जाया जा सकता है। टीके को लेकर पैदा हुई झिझक के समाधान को लेकर सरकार ने मंगलवार को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म को तैयार किया ताकि उन स्वस्थ्य कर्मचारियों (जिन्हें शुरुआती लाभार्थियों के रूप में चुना गया) को भी टीका लगाने की अनुमति दी जा सके जिन्हें पहले से निर्धारित न किया गया हो।