तिब्बत पर जबरन कब्जा जमाकर यहां के निवासियों की आजादी और संसाधन छीन चुका चीन इसका नाम लेते ही बौखला उठता है। तिब्बत उसके लिए किस तरह दुखती रग है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कुछ भारतीय विशेषज्ञों की ओर से भारत सरकार को ‘तिब्बत कार्ड’ खेलने का सुझाव देते ही चीन इतना बेचैन हो गया कि उसने युद्ध की धमकी तक दे डाली है। उसने कहा है कि यदि अमेरिका के साथ मिलकर भारत ने तिब्बत का मुद्दा उठाया तो दोनों देशों के बीच रिश्ता पूरी तरह खत्म हो जाएगा।
चीन सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने भारत को चेतावनी देते हुए कश्मीर मुद्दे का भी जिक्र किया और कहा कि वह एकतरफा यह नहीं कह सकता है कि यह भारत का इलाका है। शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज के रिसर्च सेंटर फॉर चाइना-साउथ एशिया कोऑपरेशन के सेक्रेटरी जनरल लियु जोंगयी ने उत्तर-पूर्व में अलगाववाद की याद दिलाकर बदले का डर दिखाने की भी कोशिश की।
ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख में कहा गया है कि भारत में ब्रह्मा चेलानी जैसे कुछ भूराजनीतिज्ञों ने कहा है कि भारत सरकार को अमेरिका के साथ मिलकर तिब्बत कार्ड खेलना चाहिए। उन्होंने अमेरिका के तिब्बत कानून का लाभ उठाने की भी सलाह दी है। पूर्व भारतीय कूटनीतिज्ञ दीपक वोहरा ने यहां तक लिखा है कि यदि तिब्बत अपना अलग रास्ता चुनता है तो चीन के टुकड़े हो जाएंगे या फिर उसे साम्यवाद छोड़ना होगा और दुनिया अधिक सुरक्षित जगह हो जाएगी। भारतीय विशेषज्ञों की टिप्पणी से चिढ़े चीन के लेखक ने कहा, ”तिब्बत चीन का हिस्सा है और भारत सरकार लंबे समय से इसे मान्यता देती आई है। यदि नई दिल्ली इन विद्वानों की सलाह को मानता है, भारत-चीन के रिश्ते पूरी तरह खत्म हो जाएंगे और नई दिल्ली युद्ध को भड़काएगी।”
हालांकि, चीनी एक्सपर्ट ने यह भी स्वीकार किया कि भारत तिब्बत का साथ देता आया है। लियु ने कहा, ”वास्तव में बारत ने चीन के लिए मुश्किलें खड़ी करने और अपने फायदों के लिए ‘तिब्बत कार्ड’ खेलना नहीं छोड़ा है। कथित निर्वासित तिब्बत सरकार भारत में ही चल रही है और तिब्बत का प्रश्न भारत-चीन रिश्तों में अहम मुद्दा है।” चीनी एक्सपर्ट ने कहा कि कुछ लोग इसलिए तिब्बत कार्ड को जोरशोर से उठाने की बात कह रहे हैं क्योंकि वे कश्मीर को भारत के हिस्से के रूप में मान्यता देने के लिए चीन को मजबूर करना चाहते हैं। वे असल में नहीं जानते कि तिब्बत का सवाल दोनों देशों के बीच कितना संवेदनशील है और ये लोग आग से खेल रहे हैं।
तिब्बत के पक्ष में आवाज मंद करने के लिए चीन ने एक्सपर्ट के सहारे भारत को डराने की भी कोशिश की और बताया कि वह किन मुद्दों के जरिए इसका बदला ले सकता है। एक्सपर्ट ने कहा, ”चीन इसके बदले में कई कदम उठा सकता है। लेकिन आम तौर पर, हम इन उपायों का उपयोग नहीं करते। उदाहरण के तौर पर कश्मीर वैश्विक मान्यताप्राप्त विवादित क्षेत्र है। चीन एकतरफा यह नहीं स्वीकार करेगा कि यह भारत का हिस्सा है, जैसा कि नई दिल्ली को उम्मीद है। इसके अलावा, भारत के पास कई कांटेदार मुद्दे हैं। जैसा कि धार्मिक मुद्दे और उत्तर-पूर्व भारत में हथियारबंद अलगाववादी। बीजिंग इन मुद्दों के साथ नई दिल्ली पर दबाव बनाने को तुच्छ समझता है।
लद्दाख सेक्टर में हाल ही में भारतीय सैनिकों से टकराव में बुरी तरह चोट खाने वाले चीन ने अपने मुखपत्र के जरिए यह भी कहा है कि भारत में चीन के खिलाफत की जंग जीतने की शक्ति नहीं है। इसके एक्सपर्ट अमेरिका के सुर में बोल रहे हैं। चीनी एक्सपर्ट ने कहा कि भारत को इस मुद्दे पर कई बार सोचना होगा कि यदि वह अमेरिका के साथ मिलकर चीन के लिए बाधाएं उत्पन्न करता है तो उसे क्या मिलेगा? अंत में भारत खुद को तोप का चारा के रूप में पाएगा।