दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले साल उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के पीड़ितों के लिए मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है।
जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने केंद्र तथा दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर याचिका पर उनका रुख जानना चाहा है। याचिका उन कुछ लोगों ने दायर की है जो स्वयं को दंगा पीड़ित बताते हैं।
याचिका में दिल्ली सरकार की सांप्रदायिक हिंसा पीड़ितों के लिए सहायता योजना के तहत प्रदान की गई 10 लाख रुपये की अंतरिम राशि को बढ़ाकर 15 लाख रुपये का कुल मुआवजा दिए जाने की मांग की गई है।
गौरतलब है कि नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच संघर्ष के बाद 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, घोंडा, चांदबाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार इलाकों में साम्प्रदायिक दंगे भड़क गए थे।
इस हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे। साथ ही सरकारी और निजी संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचा था। उग्र भीड़ ने मकानों, दुकानों, वाहनों, एक पेट्रोल पम्प को फूंक दिया था और स्थानीय लोगों तथा पुलिस कर्मियों पर पथराव किया।
इस दौरान राजस्थान के सीकर के रहने वाले दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की 24 फरवरी को गोकलपुरी में हुई हिंसा के दौरान गोली लगने से मौत हो गई थी और डीसीपी और एसीपी सहित कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल गए थे। साथ ही आईबी अफसर अंकित शर्मा की हत्या करने के बाद उनकी लाश नाले में फेंक दी गई थी।