अगले चार साल के भीतर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हवाईअड्डे की तर्ज पर सुविधा होंगी। यहां आधुनिक सुविधाओं वाली नई इमारत बनेगी, जिसमें दो प्रवेश व निकास गेट होंगे। साथ ही रेलवे कार्यालय, रेलवे क्वार्टर और सहायक रेलवे कार्यालय बनाए जाएंगे। स्टेशन परिसर के साथ ही व्यवसायिक कार्यालय, होटल और आवासीय परिसर बनाए जाएंगे। स्टेशन के दोनों तरफ दो मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट हब और 40 मंजिल ऊंचे दो टावर बनाने की योजना है। रेल भूमि विकास प्राधिकरण आरएलडीए यह काम करेगी। शुक्रवार को ऑन लाइन रोड शो में स्टेशन की नई इमारत की झलक दिखाई गई।
आरएलडीए ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास पर ऑनलाइन रोडशो के जरिए अंतरराष्ट्रीय रीयल एस्टेट डेवलपर्स, इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों और वित्तीय संस्थानों को आकर्षित करना चाहती है. यह ऑनलाइन रोडशो 19 जनवरी तक चलेगा। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर बताया कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास के बाद लोगों को यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं मिलेंगी। इस रोडशो में सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, दुबई और स्पेन के इंवेस्टर्स व डेवलपर्स हिस्सा ले रहे हैं। इसमें बोली दाताओं के साथ प्रोजेक्ट कॉन्सेप्ट और प्रस्तावति लेनदेन के स्ट्रक्चर पर चर्चा की जाएगी।
5 हजार करोड़ लागत
पुनर्विकास परियोजना से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही क्षेत्र के आर्थिक विकास में मदद मिलेगी। ऑनलाइन रोडशो के जरिये इस परियोजना से विभिन्न कंपनियों को जोड़ने में तेजी आएगी। इससे उन्हें परियोजना के हर पहलू की जानकारी दी जाएगी। परियेाजना को 60 साल के लिए डिजाइन-बिल्ड-फाइनेंस-ऑपरेट-ट्रांसफर मॉडल पर विकसित किया जाना है। परियोजना पर करीब 5,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
120 हेक्टेयर में फैली
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पुनर्विकास परियोजना 120 हेक्टेयर में फैली होगी। इसमें से 88 हेक्टेयर को पहले चरण में पूरा किया जाएगा। परियोजना के तहत करीब 12 लाख वर्गमीटर क्षेत्र में निर्माण कार्य होगा। परियोजना से जुड़ी मंजूरियों को तेजी से पूरा करने के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है।
यह भी जानें
फिलहाल 2 फरवरी 2021 तक ये पुनर्विकास परियोजना रिक्वेस्ट फॉर क्वालिफिकेशन के चरण में है. आरएलडीए के इस ऑनलाइन रोडशो का मकसद अंतरराष्ट्रीय रीयल एस्टेट डेवलपर्स, इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों और वित्तीय संस्थानों को पुनर्विकास परियोजना से जुड़ने के लिए आकर्षित करना है. आरएलडीए चाहती है कि इस परियोजना से यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण एशियाई देश जुड़ें।