बिहार के भागलपुर में युवती के साथ छेड़खानी के मामले में केस दर्ज करने में देरी और आरोपी पक्ष को फायदा पहुंचाने के लिए उसके आवेदन पर पीड़ित पक्ष पर फर्जी केस करने के आरोप में ललमटिया थानाध्यक्ष ओमप्रकाश को डीआईजी सुजीत कुमार ने शनिवार को सस्पेंड कर दिया।
उन्होंने पीड़ित पक्ष की शिकायत के बाद एएसपी सिटी से मामले की जांच कराई थी। एएसपी ने जांच में ललमटिया थानाध्यक्ष पर लगे आरोप को सही बताया और उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा की थी, जिसके बाद डीआईजी ने उसे सस्पेंड कर दिया।
छेड़खानी की शिकार लड़की के पिता सीटीएस नाथनगर में सिपाही हैं, जबकि आरोपी लड़के विकास कुमार का पिता सीटीएस नाथनगर में ही हवलदार हैं और उसका भाई एसएसपी कार्यालय में तकनीकी सेल में पदस्थापित है। पीड़िता के पिता ने डीआईजी से शिकायत की थी कि आरोपी लड़के के भाई के दबाव में आकर आरोपी पक्ष का केस दर्ज कर लिया जो पूरी तरह से झूठा है। जांच में आरोप को सही पाये जाने के बाद ललमटिया थानाध्यक्ष को सस्पेंड कर एसएसपी को उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया है। निलंबन के दौरान उनका मुख्यालय भागलपुर पुलिसलाइन होगा।
आवेदन में ओवरराइटिंग कर तारीख बदल दी
पीड़ित पक्ष ने तीन दिसंबर को डीआईजी से मुलाकात की थी और बताया था कि लड़की से छेड़खानी का केस दर्ज करने के लिए उन्होंने 19 अक्टूबर को ललमटिया थानाध्यक्ष को आवेदन दिया था पर केस दर्ज नहीं किया गया। 26 अक्टूबर को आरोपी पक्ष की तरफ से भी आवेदन लेकर ललमटिया थानाध्यक्ष ने उसी दिन दोनों पक्षों की तरफ से केस दर्ज कर दिया। पीड़ित पक्ष का कहना था कि थानाध्यक्ष ने सात दिन बाद उनके आवेदन पर केस दर्ज किया पर आरोपी की तरफ से भी केस कर दिया जो पूरी तरह से गलत था। एएसपी सिटी ने जब जांच की तो पाया कि पीड़ित पक्ष के दिये आवेदन की तिथि को ओवर राइटिंग कर बदल दिया गया था।