कोविड के चलते घाटे में चल रहे मेट्रो के आगे परिचालन का संकट खड़ा हो सकता है। दिल्ली मेट्रो ने बेरोकटोक परिचालन के लिए अब सरकार से भरपाई की मांग की है। दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि इसपर अंतिम फैसला सरकार लेगी। बीते नौ माह में मेट्रो को 1910 करोड़ रुपये परिचालन घाटा हुआ है। अगर घाटा इसी तरह चलता रहा तो मेट्रो के सामने परिचालन को लेकर संकट खड़ा हो जाएगा।
दिल्ली मेट्रो ने बीते नौ माह में कुल परिचालन लागत 2202 करोड़ रुपये (इसमें जापनी कंपनी जीका का लोन की किश्त भी शामिल) है। वहीं परिचालन से कमाई की महज 247 करोड़ रूपये हुई है। दिल्ली मेट्रो की मुख्य कमाई का जरिया भी मेट्रो परिचालन व यात्री किराये से है। उसके अलावा संपत्ति से आने वाला किराया है। मगर 23 मार्च 2020 से लॉकडाउन के बाद मेट्रो को ना तो अपनी संपत्ति का किराया मिला और ना ही परिचालन से कोई कमाई हुई।
मेट्रो अभी भी पाबंदियों के बीच चल रही है जिसके चलते पूरी क्षमता से नहीं चल रहा है। जिससे रोजाना मेट्रो को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। बीते नौ माह में परिचालन लागत व कमाई के बीच के अंतर को भरने के लिए मेटो ने 1910 करोड़ रुपये कंसलटेंसी शुल्क का प्रयोग किया है। यह पैसा डीएमआरसी दूसरे योजनाओं में सलाहकार के तौर पर कमाएं है। यह प्रोजेक्ट डिविजन की ओर से मैनेज किया जाता है। इस रकम को लेने के बाद अब मेट्रो के पास कंसलटेंसी शुल्क का महज 260 करोड़ रुपये ही बचा है।
ऐसे होगी मेट्रो परिचालन घाटे की भरपाई
दिल्ली मेट्रो में केंद्र सरकार व दिल्ली सरकार 50-50 फीसदी की पार्टनर है। मेट्रो फेज एक व दो में अगर परिचालन घाटा होता है तो उसकी भरपाई 50-50 फीसदी दिल्ली सरकार व केंद्र सरकार करेंगे। मगर मेट्रो फेज तीन में अगर कोई घाटा होता है तो उसकी पूरी भरपाई दिल्ली सरकार करेगी। क्योंकि यह लाइन मेट्रो नीति आने के बाद बना था। जिसमें अकेले जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी। जो सेक्शन दिल्ली से बाहर के है वहां की भरपाई वहां की राज्य सरकार व केंद्र सरकार मिलकर करेंगे।
09 माह में मेट्रो का कमाई व खर्च
247.65 करोड़ मेट्रो की कमाई।
2208.2 करोड़ परिचालन लागत।
1910 करोड़ कंसलटेंसी शुल्क का परिचालन में खर्च किया।