महाराष्ट्र में औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर करने के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी है। उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को कहा है कि औरंगजेब सेक्युलर नहीं था इसलिए धर्मनिरपेक्षता के एजेंडे में फिट नहीं बैठता है। बता दें कि औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर करने के प्रस्ताव का कांग्रेस पार्टी ने विरोध किया है। हालांकि शिवसेना ने कहा है कि इससे तीन पार्टियों की महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
कांग्रेस की आलोचना के कुछ दिन बाद शिवसेना नेता संजय राउत ने शुक्रवार को प्रश्न किया कि क्या सरकारी दस्तावेजों में छत्रपति संभाजी महाराज के नाम का इस्तेमाल करना अपराध है? संभाजी, छत्रपति शिवाजी के बड़े बेटे थे। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री एवं कांग्रेस के राज्य इकाई के प्रमुख बालासाहेब थारोट यह स्पष्ट कर चुके हैं कि उनकी पार्टी औरंगाबाद का नाम बदले जाने के कदम का कड़ा विरोध करेगी।
सीएमओ ने दो दिन पहले मंत्रिमंडल के फैसलों के बारे में किए गए एक ट्वीट में कहा था, संभाजीनगर (औरंगाबाद) में सरकारी मेडिकल कॉलेज में अतिरिक्त 165 बेड और 360 नए पदों के निर्माण को मंजूरी दी गई है। शहरों का नाम बदलना एमवीए सरकार के साझा न्यूनतम कार्यक्रम (सीएमपी) के एजेंडे में शामिल नहीं होने के कांग्रेस के दावे पर सवाल किए जाने पर राउत ने कहा कि सीएमपी लोगों का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए है। उन्होंने कहा, सीएमपी यह नहीं कहता कि लोगों की बात नहीं सुनी जानी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि शिवसेना ने दो दशक से भी अधिक समय पहले औरंगाबाद का नाम बदल कर संभाजीनगर करने की मांग की थी। इस बारे में जून 1995 में औरंगाबाद नगर निगम की आमसभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसे कांग्रेस के एक पार्षद ने हाई कोर्ट में और बाद में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।