गाजियाबाद जिले के मुरादनगर श्मशान घाट हादसे के आरोपी ठेकेदार अजय त्यागी की नगर निगम के कुछ अधिकारी और कर्मचारियों के साथ खूब नजदीकियां रही हैं। यही वजह है कि कोरोना काल में भी उसने नगर निगम ऑफिस में अपना जन्मदिन मनाया था। सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल हो रही है। उसमें अधिकारी और कर्मचारी उसे केक खिला रहे हैं। चर्चा है कि निगम में अजय का कोई काम नहीं रुकता था।
अजय त्यागी निगम में कई साल से ठेकेदारी कर रहा है। उसकी मैसर्स अजय त्यागी कंस्ट्रक्शन, माही कंस्ट्रक्शन एंड बिल्डर्स और कृष्णा एसोसिएट्स फर्म का निगम में पंजीकरण है। वह सात करोड़ रुपये के ठेके वाले विभिन्न काम कर रहा था। उसने शिकरोड़ गांव में नाले का निर्माण कराया था। नाले का निर्माण करने में लापरवाही बरती गई। नाला बनने के बाद भी जल निकासी नहीं हो रही है। इससे नाराज लोग कई बार धरना और प्रदर्शन कर चुके हैं। वह वार्ड-73 में नाले का निर्माण करा रहा था। उसकी भी शिकायत की गई थी। इसी तरह अन्य जगह भी काम कराए जा रहे थे।
महापौर ने उसकी फर्म द्वारा कराए गए सभी कार्यों की गुणवत्ता जांच करने के लिए नगर आयुक्त से कहा है। जिलाधिकारी ने उसकी सभी फर्मों को ब्लैक लिस्ट में डालने का आदेश दिया है। ठेकेदार अजय त्यागी की निगम के कुछ अधिकारी और कर्मचारियों से नजदीकियां खूब चर्चाओं में रही हैं।
इन दिनों सोशल मीडिया पर उसकी एक फोटो वायरल हो रही है। इसमें वह नगर निगम दफ्तर में अपना जन्मदिन मना रहा है। यह फोटो कुछ माह पहले की है। कोरोना काल में निगम दफ्तर में अधिकारी और कर्मचारी उसे केक खिला रहे हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता कि ठेकेदार का नगर निगम में इस कदर पैठ रही है। बहराहल, नगर आयुक्त उसके द्वारा कराए गए कार्यों की जांच करा रहे हैं। साथ ही उसके पार्टनर संजय गर्ग के कार्यों की जांच भी शुरू हो गई है।
केवल अधिकारियों और ठेकेदार पर कार्रवाई से जांच पर उठे सवाल
गाजियाबाद (व.सं.)। श्मशान हादसे के लिए केवल नगर पालिका के अधिकारियों व ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई से पुलिस की जांच पर सवाल उठने लगे हैं। खुद मुरादनगर के लोग ही यह सवाल उठाकर अपना गुस्सा जाहिर करने लगे हैं। लोगों का आरोप है कि पालिका बोर्ड की सहमति के बिना जब एक नाली तक नहीं बनती तो इतने बड़ा भ्रष्टाचार बिना बोर्ड की सहमति के कैसे संभव हुआ। लोगों का यह भी सवाल है कि रिश्वत की रकम नेताओं को भी दी गई है। इसके बावजूद अब तक पुलिस ने नेताओं को गिरफ्तार क्यों नहीं किया।
गौरतलब है कि नगर पालिका परिषद की ईओ रही निहारिका सिंह के अलावा खुद ठेकेदार अजय त्यागी ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि 55 लाख का ठेका छोड़ने के लिए कितने लाख रुपये रिश्वत ली गई थी। यह भी बता दिया कि रिश्वत की राशि का बंटवारा कैसे हुआ। ईओ ने स्वीकार किया कि उन्होंने अपनी टीम जिसमें जेई और सुपरवाइजर शामिल है के लिए 16 लाख लिए थे। इसके अलावा इतनी ही रकम बोर्ड के नेताओं को भी गई थी। ठेकेदार अजय त्यागी ने भी इस बात को स्वीकार किया और बताया कि नेताओं का हिस्सा अधिकारियों से भी पहले दिया गया था। इतने के बावजूद पुलिस की फर्द में किसी जनप्रतिनिधि का नाम नहीं है।
केंद्रीय मंत्री के समक्ष जताया चेयरमैन के खिलाफ आक्रोश
गंगा विहार में मृतक परिवार को चेक बांटने पहुंचे केंद्रीय मंत्री वीके सिंह के समक्ष स्थानीय लोगों ने काफी आक्रोश जाहिर किया। जैसे ही मंत्री ने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच होगी, नागरिकों ने सीधा सवाल दाग दिया कि इस मामले में चेयरमैन की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई। नागरिकों ने सवाल उठाया कि बिना चेयरमैन की सहमति के इतनी बड़ी धांधली संभव है किया। हालांकि केंद्रीय मंत्री ने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया।
पूर्व मंत्री ने चेयरमैन को घेरा
पूर्व मंत्री बालेश्वर त्यागी ने श्मशान हादसे में पालिका चेयरमैन को घेरने का प्रयास किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है कि एक तरफ मोदी और योगी भ्रष्टाचार खत्म करने की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भाजपा के नेतृत्व वाली नगरपालिका में इतने बड़े स्तर पर कमीशनखोरी हुई है। यह चिंता की बात है। उन्होंने लिखा कि चुनाव के वक्त भाजपा ने स्थानीय नेताओं को दरकिनार कर गाजियाबाद से उम्मीदवार भेजा था। जनता ने भी उम्मीदवार को जिता दिया लेकिन अब यह दर्दनाक कांड भाजपा को भी लंबे समय तक डरावने सपने की तरह याद रहेगा। उन्होंने लिखा है कि राजनेताओं के संरक्षण में ये धंधा खूब फला फूला है ,इसलिए जब तक संरक्षकों के विरुद्ध कोई कठोर कार्यवाही नहीं होगी तब तक कमीशन खोरी पर अंकुश की बात बेमानी है।