यूपी के गाजियाबाद जिले में मुरादनगर में रविवार को श्मशान घाट पर हुए हादसे में मारे गए लाेगों को परिजनों को योगी सरकार ने दस लाख रुपये मुआवजा देने का ऐलान किया है। योगयता के आधार पर नौकरी का भी वादा किया गया है, वहीं घायलों का प्राइवेट अस्पताल में फ्री में इलाज को कहा गया है। बता दें कि आज सुबह से ही ग्रामीणों ने शव रखकर जाम लगा दिया था। वे मुख्यमंत्री को बुलाए जाने की मांग पर अड़े थे। इसके बाद अधिकारियों ने परिवार के साथ वार्ता की। लखनऊ से मिले निर्देश के बाद गाजियाबाद के एडीएम सिटी शैलेंद्र सिंह ने मुआवजा देने का ऐलान किया। इस मामले में आज सुबह ईओ निहारिका सिंह, जेई सीपी सिंह, सुपरवाइजर आशीष को गिरफ़्तार किया गया, जबकि ठेकेदार अजय त्यागी को पकड़ने के लिए दबिश जारी है।
पुलिस पर भड़के परिजन :
मुरादनगर में मृतकों के परिजनों ने सड़क पर शव रखकर जाम लगा लिया। वहां सैकड़ों की संख्या में लोग जुट गए। इसके बाद पुलिस प्रशासन ने उन्हें समझाना चाहा। इस पर लाेग भड़क गए। पुलिस से कहा कि पहले हमें गोली मार दो फिर शव ले जाओ। मुरादनगर में मृतकों के परिजनों के प्रदर्शन के चलते मेरठ तिराहे से मुरादनगर तक भीषण जाम लग गया है। यह जाम मेरठ की सीमा तक पहुंच गया। जाम के चलते राजनगर एक्सटेंशन से मुरादनगर की तरफ जाने वाले वाहनों पर पाबंदी लगा दी गई है। इसी के चलते रूट डायवर्जन किया गया।
ऐसे हुआ था हादसा :
मुरादनगर बंबा मार्ग पर स्थित श्मशान घाट के पास रविवार को जयराम 72 के अंतिम संस्कार के लिए परिवार और आस-पड़ोस के लोग आए थे। अंतिम संस्कार के बाद लोग जाने ही वाले थे। इससे पहले ही छत गिरने से यह हादसा हो गया। हादसा अचानक हुआ कि इसमें चीख-पुकार भी नहीं सुनने को मिली। वहां मौजूद घायलों का कहना है कि जो लोग लेंटर में दब गए उनकी आवाज नहीं सुनी और जो बच गए वह सदमें में हैं। घायल लोगों ने अपने नजदीकि लोगों को फोन करके बुलाया, हादसे के करीब एक घंटे बाद वहां एंबुलेंस पहुंचनी शुरू हो गई। इससे पहले मलबे में दबे कुछ लोगों को निकालकर नजदीक के अस्पताल में पहुंचाया गया। इसके बाद जेसीबी की सहायता से दीवार को हटाकर वहां दबे लोगों को निकाला गया। परिजनों के अनुसार करीब 50 से ज्यादा लोग मौके पर थे।
दोपहर करीब दो बजे जिला एमएमजी अस्पताल में एंबुलेंस घायल को लेकर पहुंचने लगी, उसमें से सभी मृतक थे। इमरजेंसी में पहुंचने के बाद चिकित्सकों ने अधिकांश मरीजों को मृत घोषित कर दिया। बता दें करीब 15 मृतकों के शव एक घंटे में अस्पताल में पहुंच गए। मृतकों के परिजन एक उम्मीद के साथ अस्पताल में पहुंचे थे कि घायल के उपचार के बाद वापस ले जाएंगे, लेकिन एंबुलेंस से नीचे उतरते ही वह मृत अवस्था में मिल रहे। ऐसे में अधिकांश परिजन अस्पताल में ही सदमें में बैठ गए। अस्पताल परिसर में ही कोहराम मच गया था। घटना के बाद लगातार सभी अस्पतालों से एंबुलेस मौके पर पहुंच गई थी। करीब 20 से ज्यादा एंबुलेंस में मृतक और घायलों को अस्पताल में भेजा गया था। इसमें कुछ लोग निजी कार और बस में बैठकर अस्पताल पहुंचे थे।
समय से मिल जाता उपचार, तो बच जाती जान
मेरठ में रहने वाले जयवीर सिंह (50) पूरी तरह से मलबे में दबे थे और उनके केवल गर्दन ही बाहर थी। उन्हें मलबे से निकालकर सूर्या अस्पताल भेजा गया। उनके साथ उनके भतीजे भी थे। सूरज ने बताया कि अस्पताल में करीब एक घंटे तक जयवीर को कोई उपचार नहीं मिल सका। तब तक जयवीर उनसे बातचीत कर रहे थे। अस्पताल में उनका एक्स-रे आदि किया गया, लेकिन उन्हें कोई दवाई नहीं दी गई। लगभग एक घंटे बाद जयवीर ने कहा कि उनका दम घुट रहा है और उन्हें बाथरूम जाना है। इसके बाद उनकी हालत बिगड़ गई और कुछ ही देर में उन्होंने दम तोड़ दिया