यमुनापार की पूर्वी जिला पुलिस की वाहन चोर निरोधक शाखा ने दिल्ली-एनसीआर में करीब 500 लग्जरी कार पर हाथ साफ करने वाले एक अंतरर्राज्यीय गैंग का पर्दाफाश किया है। इस संबंध में गैंग के तीन बदमाशों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। यह वसीम चलाता है, जो मेरठ का निवासी है। पुलिस की मानें तो पिछले पांच साल से यह गैंग दिल्ली एनसीआर में सक्रिय है जो लग्जरी कार चोरी कर उसे जौनपुर और रायपुर में बेचता है। आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने 15 लग्जरी कार और एक बुलेट बाइक बरामद की है।
ऐेसे चोरी कर बेचते थे वाहन
पुलिस के मुताबिक गिरोह के सदस्य इंश्योरेंस कंपनी से क्षतिग्रस्त कार कागज समेत खरीद लेते थे और फिर उसी मॉडल की कार की चोरी कर उसके चेसिस व इंजन नंबर बदलकर उसे बेच देते थे।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान नंदनगरी निवासी सतीश कुमार, यूपी स्थित जौनपुर निवासी कुणाल यादव और छत्तीसगढ स्थित रायपुर निवासी रजिकुल्लाह शामिल हैं। आरोपियों में से कुनाल ने वाणिज्य में स्नातक किया है। पुलिस के मुताबिक वह वर्ष 2018 में कुणाल जल्द पैसा कमाने के लिए गैंग में शामिल हुआ। पूछताछ में यह खुलासा हुआ है कि कुनाल वेब पोर्टल और इंश्योरेंस कंपनियों से स्क्रैप कारों को कागजात सहित खरीद लेता था और उसे वसीम को सौंप देता था। रजिकुल्लाह चोरी के कारों पर क्षतिग्रस्त कार का चेसिस व इंजन नंबर और रजिस्ट्रेशन नंबर डालकर उसे बेच देता था।
ऐसे पकड़े गए तीनों आरोपी
पूर्वी जिला के डीसीपी दीपक यादव ने बताया कि गत 12 दिसंबर को शाखा की टीम को सूचना मिली कि थी इस गैंग का एक बदमाश सतीश कुमार गाजीपुर डेयरी फार्म होते हुए नोएडा जा रहा है। पुलिस टीम ने घेराबंदी कर गाजीपुर श्मशान घाट के पास से उसे दबोवा और उसके पास से विवेक विहार से चुराई गई कार जब्त की। पूछताछ में सतीश ने बताया कि वह वसीम गैंग का सदस्य है जो दिल्ली एनसीआर में वाहनों की चोरी करता है। फिर चोरी की गाडिय़ों को जौनपुर और रायपुर में बेचता है। इसके बाद पुलिस ने उसकी निशानदेही पर दिल्ली, मेरठ, जौनपुर, रायपुर और छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके में दबिश देकर कुणाल यादव और रजिकुल्लाह खान को भी धर दबोचा।
पांच साल से सक्रिय था गैंग
आरोपियों ने पूछताछ में यह भी खुलासा किया है कि मेरठ निवासी वसीम और रियाज गैंग को चलाते हैं। पांच छह साल पहले इन्होंने गैंग बनाकर दिल्ली एनसीआर के वाहनों को चुराना शुरू किया था। बाद में गैंग में अन्य सदस्य जुड़ते गये। गैंग के सदस्य उसी मॉडल की लग्जरी कार को चुराते थे, जिसे वह इंश्योरेंस कंपनी से खरीदते थे। बाद में उन क्षतिग्रस्त कारों को कबाड़ में बेच देते थे। पुलिस के मुताबिक चेसिस और इंजन नंबर को इतनी सफाई से बदलते थे कि ट्रांसपोर्ट और फाइनेंस कंपनी इसे पकड़ नहीं पाती थी। ज्यादातर वाहन को नक्सल प्रभावित इलाके में बेच देते थे। पुलिस के मुताबिक सुभाष चोरी की कार को उसके खरीदार तक पहुंचाने का काम करता था।