कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार दावा करती रही है कि उसने कानून बनाने से पहले किसानों और स्टेकहोल्डर्स के साथ बातचीत की थी, मगर टीवी चैनल एनडीटीवी की ओर से दायर आरटीआई के जवाब में यह बात सामने आई है कि सरकार के पास किसानों से हुई बातचीत का कोई रिकॉर्ड नहीं है। गौरतलब है कि नए कानून पर परामर्श नहीं लेने को लेकर ही विपक्ष और किसान संगठन की ओर से मोदी सरकार आलोचना का सामना कर रही है। हालांकि, सरकार का कहना है कि उसने किसानों के साथ कई दौर की चर्चा की।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से लेकर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद तक कह चुके हैं कि देश के किसानों के साथ बातचीत की गई है और परामर्श लिया गया है। सोमवार को जहां फेसबुक लाइव में नरेंद्र तोमर ने कहा कि इन कानूनों पर देश में बहुत लंबे समय से चर्चा चल रही थी। कई समितियों का गठन किया गया था, जिसके बाद देश भर में कई परामर्श आयोजित किए गए थे। वहीं, रविशंकर प्रसाद ने भी कहा था कि कृषि कानूनों पर हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श, प्रशिक्षण और आउटरीच कार्यक्रम किए गए थे।
कृषि कानूनों को लेकर किसानों से बातचीत और सुझाव को लेकर एक आरटीआई दायर किया गया था, जिसमें तीनों कानूनों पर किसान समूहों के साथ सरकार की तरफ से बातचीत और परामर्श को लेकर जवाब मांगा गया था। 22 दिसंबर को मुख्य लोक सूचना अधिकारी की ओर से आए जवाब में कहा गया कि सरकार पास इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 34 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान कानून वापसी की मांग पर डटे हुए हैं। किसान और सरकार के बीच में आज एक बार फिर बातचीत होगी। आज यानी बुधवार को केंद्र और आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के बीच ठहरी हुई सातवें दौर की बातचीत होगी। हालांकि, प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने कहा कि चर्चा केवल तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीकों एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने पर ही होगी। बता दें कि इससे पहले सरकार और किसान संगठनों के बीच छह दौर की वार्ता हो चुकी है और सभी बेनतीजा ही रहीं।
इस बीच केंद्र और किसानों के बीच छठे दौर की वार्ता से एक दिन पहले केंद्रीय मंत्रियों नरेन्द्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने वरिष्ठ भाजपा नेता एवं गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। सूत्रों ने बताया कि मंत्रियों ने इस बैठक में इस बारे में चर्चा की कि बुधवार को किसानों के साथ होने वाली वार्ता में सरकार का क्या रुख रहेगा। कृषि मंत्री तोमर, खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश किसानों के साथ वार्ता में केंद्र का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। तोमर ने सोमवार को कहा था कि उन्हें गतिरोध के जल्द दूर होने की उम्मीद है।
केंद्र ने सोमवार को आंदोलन कर रहे 40 किसान संगठनों को सभी प्रासंगिक मुद्दों का तार्किक हल खोजने के लिए 30 दिसंबर को अगले दौर की बातचीत के लिए आमंत्रित किया। लेकिन किसान यूनियनों का प्रतिनिधित्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार को केंद्र को लिखे पत्र में कहा कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीकों एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने का मुद्दा वार्ता के एजेंडे का हिस्सा होना ही चाहिए।