उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में मासूम बच्चों के यौन शोषण के बाद उनके वीडियो-फोटो डार्क वेब के जरिए बेचने के आरोपी जेई की काली करतूतें इंटरपोल के डेटा बेस में दर्ज होंगी। सीबीआई इंटरनेशल चाइल्ड सेक्सुएल एक्सप्लायटेशन, इंटरपोल के जरिए रामभवन के काले व्यापार से जुड़ी कई वेबसाइट्स भी खंगालेगी। सीबीआई को संदेह है कि कई देशों की वेबसाइट्स पर रामभवन के तार जुड़े हैं। भारत समेत 64 देशों से जुड़ा इंटरपोल डेटा बेस रामभवन के कई रहस्य खोलने में मददगार बनेगा।
सीबीआई ने 17 नवंबर को जेई रामभवन के अंतर्राष्ट्रीय वेबसाइट्स लिंक का खुलासा करते हुए चित्रकूट से गिरफ्तार किया था। उस पर 50 बच्चों का यौन शोषण करने और उनके वीडियो और फोटो साइट्स पर बेचने का आरोप है। सीबीआई को इंटरपोल के साथ अब तक उपलब्ध डेटा साझा करने की हरी झंडी विभागीय स्तर पर मिल गई है।
कई वेबसाइट की छानबीन
सीबीआई के एक अधिकारी के मुताबिक इंटरपोल ऐसे मामलों में यौन शोषण से जुड़े अपराधियों के सहयोगियों की पहचान करने में मदद करता है। इसमें डार्कनेट और विभिन्न वेबसाइटों का उपयोग किया गया है। हम अभी भी इस मामले में विदेशी आरोपियों की पहचान करने की प्रक्रिया में हैं। सीबीआई ने यह भी पाया है कि उसने अपने रिश्तेदारों और कुछ अज्ञात लोगों को भी वीडियो बेचे थे। यह बात भी सामने आई है कि मां-बाप के विरोध या शिकायत करने पर रामभवन पैसा देकर व धमकाकर उनके मुंह बंद कर देता था। यह सिलसिला लगभग 11 साल से चल रहा था। रामभवन ने ऐसे वीडियो बेच कर लाखों रुपए कमाए हैं। उसके पास से 10 मोबाइल फोन, आपत्ति जनक खिलौने, लैपटॉप और अन्य डिजिटल साक्ष्य (चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज मैटेरियल) भारी मात्रा में बरामद किए थे। अन्य सबूतों के लिए कई वेबसाइट्स की छानबीन चल रही है।
10,752 अपराधियों की जानकारी दर्ज
आईसीएसई अंतर्राष्ट्रीय जांच एजेंसियों को बाल यौन शोषण के मामलों पर डेटा साझा करने की अनुमति देता है। भारत समेत 64 देश उसका उपयोग कर रहे हैं। आईसीएसई डेटाबेस ने 23,500 पीडि़तों और 10,752 अपराधियों की पहचान करने में मदद की है। पीडि़तों का डेटा गुुप्त रखने को पाक्सो अधिनियम का ध्यान रखा जाता है। इसमें भारत केवल रामभवन का डेटा साझा करेगा। उसकी ई-मेल आईडी, आईपी पते के साथ इस्तेमाल की गई वेबसाइट की जानकारी साझा की जाएगी। अपराध करने का तरीका भी डेटा बेस में शामिल किया जाएगा।