तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक माह से आंदोलन कर रहे किसान पीछे हटने का नाम नहीं ले रहे। दूसरी ओर सरकार भी झुकने को तैयार नहीं दिख रही। केंद्र और आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के बीच ठहरी हुई बातचीत बुधवार को यानि आज होनी है। वहीं प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने कहा कि चर्चा केवल तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीकों एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने पर ही होगी।
इस बीच केंद्र और किसानों के बीच छठे दौर की वार्ता से एक दिन पहले मंगलवार को केंद्रीय मंत्रियों नरेन्द्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने वरिष्ठ भाजपा नेता एवं गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। सूत्रों ने बताया कि मंत्रियों ने इस बैठक में इस बारे में चर्चा की कि बुधवार को किसानों के साथ होने वाली वार्ता में सरकार का क्या रुख रहेगा। कृषि मंत्री तोमर, खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश किसानों के साथ वार्ता में केंद्र का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। तोमर ने सोमवार को कहा था कि उन्हें गतिरोध के जल्द दूर होने की उम्मीद है।
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– गाजीपुर बॉर्डर (यूपी-दिल्ली बॉर्डर) पर डटे भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि यह वैचारिक क्रांति पूरे देश की आवाज है। किसान वापस नहीं लौटेंगे। किसान खुद भूखा रह लेगा, लेकिन पड़ोसियों को भूखा नहीं सोने देगा।
दिल्ली : बुराड़ी ग्राउंड से फरीदकोट (पंजाब)के जिला प्रधान बिंदर सिंह गोले वाला ने कहा कि आज दो बजे बैठक होगी। इस बैठक से हमें तो ज्यादा उम्मीद नहीं है, लेकिन इस साल इस कानून पर फैसला हो जाए तो ये हमारे और सरकार के लिए अच्छा होगा। जब कानून रद्द होगा हम तभी यहां से जाएंगे वरना नए साल पर भी यही रहेंगे
किसान मजदूर संघर्ष समिति के संयुक्त सचिव सुखविंदर सिंह साबरा ने कहा कि किसानों और सरकार के बीच पांच दौर की बातचीत हुई है। हमें नहीं लगता कि हम आज भी किसी समाधान तक पहुंचेंगे। तीन कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना चाहिए।
– सरकार और किसानों की वार्ता पर वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने कहा कि- हमें उम्मीद है कि किसानों से बातचीत निर्णायक होगी। एमएसपी सहित सभी मुद्दों पर खुले दिल से बात की जाएगी। मुझे उम्मीद है कि किसानों का आंदोलन आज समाप्त हो रहा है। -गाजीपुर सीमा पर भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने कहा कि यह जरूरी है कि देश में मजबूत विपक्ष हो, जिससे सरकार को डर हो लेकिन यहां वे नहीं हैं। इसी कारण किसानों को सड़कों पर आना पड़ा। विपक्ष को खेत में, सड़कों पर खड़े टेंट और स्टेज पर विरोध प्रदर्शन करना चाहिए।
केंद्र ने सोमवार को आंदोलन कर रहे 40 किसान संगठनों को सभी प्रासंगिक मुद्दों का तार्किक हल खोजने के लिए 30 दिसंबर को अगले दौर की बातचीत के लिए आमंत्रित किया। लेकिन किसान यूनियनों का प्रतिनिधित्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार को केंद्र को लिखे पत्र में कहा कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीकों एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने का मुद्दा वार्ता के एजेंडे का हिस्सा होना ही चाहिए।