भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर तनाव कम नहीं हुआ है। एलएसी पर बीते कई महीनों से जारी तनातनी को दूर करने के लिए फिलहाल भारत और चीन के बीच अगले दौर की बातचीत के आसार नहीं दिख रहे हैं। इस घटनाक्रम से परिचित लोगों ने कहा कि इस बात के कोई संकेत नहीं दिख रहे कि भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में सीमा तनाव को कम करने के लिए अगले दौर की सैन्य वार्ता करेंगे। हालांकि, हाल ही में दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जताई कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी से सैनिकों के जल्द और पूरी तरह डिसइंगेजमेंट के लिए अगले दौर की सैन्य स्तर की बातचीत जल्द होनी चाहिए।
18 दिसंबर को सीमा विवाद मामलों पर बने वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड को-ऑर्डिनेशन (WMCC) की वर्चुअल बैठक में भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसकी के पास सभी फ्रिक्शन प्वाइंट्स पर जल्द से जल्द सैनिकों के पूरी तरह से डिसइंगेजमेंट को लेकर सहमति जताई और कहा कि इसके लिए जल्द किसी शुरुआती तारीख पर सीनियर कमांडर स्तर की बातचीत होनी चाहिए। हालांकि, दोनों पक्षों ने सैन्य वार्ता के लिए अभी तक कोई तारीख प्रस्तावित नहीं की है।
भारत-चीन मामलों पर नजर रखने वाले अधिकारी ने कहा कि राजनीतिक / राजनयिक हस्तक्षेप के बिना सीमा विवाद को हल करने में कोई भी सफलता मिलने की संभावना नहीं है। बता दें कि भारत और चीन ने अब तक सीमा विवाद के मुद्दे को सुलझाने और तनातनी को कम करने के लिए अब तक आठ दौर की सैन्य वार्ता की है, लेकिन विवाद को सुलझाने में अब तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है। भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने आठवें दौर की वार्ता के दौरान कहा था कि वे अपने अग्रिम पंक्ति के सैनिकों को संयम बरतने और किसी भी गलतफहमी से बचने के लिए सुनिश्चित करेंगे।
दरअसल, दोनों में से कोई भी पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं है। विशेषज्ञ का कहना है कि जब तक भारत और चीन के बीच विवाद वाले फ्रिक्शन प्वाइंट पर मतभेद की स्थिति को कूटनीतिक और राजनीतिक स्तर पर बातचीत के जरिए सुलझा नहीं लिया जाता तब तक दोनों देश की सेनाओं में यह तकरार जारी रहेगी। भारत और चीन दोनों लद्दाख सेक्टर में लंबी समय के लिए तैयार हैं और कठोर सर्दियों के महीनों के दौरान एलएसी के साथ फॉरवर्ड पोजिशन को संभालने को लेकर दृढ़ हैं।