उत्तर पश्चिम जिला पुलिस ने आनलाइन खरीदारी करने वालों से ठगी में लिप्त काल सेंटर का खुलासा किया है। पुलिस ने गिरोह के पांच सदस्यों को भी गिरफ्तार किया है। इस गिरोह ने 2000 लोगों से करीब 30 करोड़ रुपये की ठगी अभी तक की है। डीसीपी विजयंता आर्या ने बताया कि जहांगीरपुरी निवासी विनीत ने स्थानीय थाने में ठगी की शिकायत दर्ज कराई थी। पीड़ित ने बताया कि उसे आनलाइन शापिंग कम्पनी की तरफ से फोन आया था और लकी ड्रा में कार निकलने की बात कही गई थी। इसके लिए बैंक खाते में छह हजार रुपये भी जमा कराए गये लेकिन बाद में मालूम हुआ कि उसके साथ ठगी हुई है।
डीसीपी ने बताया कि साइबर सेल प्रभारी इंस्पेक्टर अजय कुमार सिंह की टीम को मामले की जांच सौंपी गई। पुलिस को टेक्निकल सर्विलांस के जरिए मालूम हुआ कि इस तरह की ठगी के लिए काल सेंटर बनाया गया है। यह काल सेंटर केशवपुरम इलाके में स्थित है। इस जानकारी के बाद इंस्पेक्टर अजय कुमार के नेतृत्व में एसआई मुक्ता एवं एसआई सीताराम ने 15 दिसम्बर को छापा मारा जहां चार शख्श लोगों को फोन कर रहे थे। इनकी पहचान मणि कार्तिक, मणिमुट्टू, के राहुल एवं सी शिवा के रूप में हुई है। पुलिस ने ठगी के रुपये के लिए बैंक खाते उपलब्ध कराने वाली महिला प्राची अरोड़ाको रविवार को बुराडी इलाके से गिरफ्तार कर लिया।
डाटा प्रोवाइडर से लोगों की जानकारियां ले लोगों को इनाम निकलने का देते झांसा
इस गिरोह के निशाने पर ऑनलाइन खरीदारी करने वाले लोग रहते थे। इसके लिए ये लोग जस्ट डायल के जरिए डाटा उपलब्ध कराने वाली कम्पनी के बारे में जानकारी लेते थे। फिर डाटा प्रोवाइडर से किसी शख्श ने कब और कितने रुपये में क्या खरीदा है, की जानकारी ले लेते थे। यह जानकारी प्रति व्यक्ति दो रुपये से लेकर दस रुपये में खरीदी जाती थी। इसके बाद कस्टमर केयर एक्जीक्युटिव बनकर ठगने की कोशिश की जाती थी।
दो साल से चला रहे थे काल सेंटर
डीसीपी विजयंता आर्या ने बताया कि यह गिरोह दो साल से लोगों से ठगी कर रहा था। बरामद बैंक खाते में एक माह के दौरान 27 लाख रुपये का लेनदेन हुआ था। आरोपियों ने अबतक दो हजार लोगों से करीब 30 करोड़ रुपये की ठगी की है। फिलहाल केशवपुरम में किराए के मकान में छह माह से काल सेंटर चला रहे थे। यहां से लोगों को फोन कर ठगी की जाती थी।
दक्षिण भारतीय नागरिकों को बनाते थे शिकार
पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस गिरोह में शामिल सभी शक्श दक्षिण भारत से हैं। इसलिए वे लोग दक्षिण भारत में रहने वाले लोगों को अपना शिकार बनाते थे। पुलिस अधिकारी ने बताया कि काल डिटेल्स एवं बैंक खातों में हुए लेनदेन के जरिए पीड़ित लोगों की तलाश की जाएगी ताकि इनके खिलाफ शिकायतें जुटाई जा सकें।
फर्जी पहचान पत्रों पर जारी सिम का करते थे उपयोग
आरोपी शख्श फोन करने के लिए फर्जी पहचान पत्र पर जारी सिम का प्रयोग करते थे। यह सिम पश्चिम बंगाल से लेकर पश्चिम यूपी के विभिन्न इलाकों से आए लोग उपलब्ध कराते थे। आरोपियों ने बताया कि सिम उपलब्ध कराने वाला हमेशा नये मोबाइल नम्बर से सम्पर्क करता था।
दो हजार के लालच में जेल
इस पूरे प्रकरण में बैंक खाता उपलब्ध कराने वाली महिला प्राची अरोड़ा को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। गृहणी प्राची को बैंक खाता उपलब्ध कराने के लिए दो हजार रुपये का लालच दिया गया था। अब दो हजार रुपये में अंजान को बैंक खाता उपलब्ध कराने पर पीड़िता जेल पहुंच गई।