दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर के सामने भाजपा शासित नगर निगमों के महापौरों और अन्य नेताओं द्वारा शुरू किया गया धरना 13 दिन बाद शनिवार को समाप्त हो गया। पिछले तीन दिन से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल कर रहे नगर निगमों के प्रदर्शनकारी नेताओं को केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता और पार्टी की शहर इकाई की सह-प्रभारी, अलका गुर्जर ने जूस पिलाकर उनका अनशन तुड़वाया।
हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि ये मेयर और नेता अपने या पार्टी के लिए विरोध नहीं कर रहे थे, वे इसलिए विरोध कर रहे थे क्योंकि 13,000 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया गया है और इसके चलते कई महीनों से नगर निगमों के सफाई कर्मचारियों और अन्य कर्मचारियों का वेतन नहीं मिला है।
पुरी ने कहा कि दिल्ली सरकार से 13,000 करोड़ रुपये की बकाया राशि की मांग को लेकर आंदोलन अन्य रूपों में जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि मुख्यमंत्री का “हृदय परिवर्तन” होगा और लोगों को हो रही समस्याओं का समाधान मिलेगा। पुरी ने खेद व्यक्त किया कि केजरीवाल बीते 13 दिनों के धरने के दौरान एक बार भी प्रदर्शनकारियों से नहीं मिले।
दिल्ली भाजपा की मीडिया सेल के प्रमुख नवीन कुमार ने कहा कि धरना खत्म करने का निर्णय प्रदर्शनकारियों की बिगड़ते स्वास्थ्य के चलते लिया गया है, जिसमें कई महिला पार्षद भी शामिल हैं।
दक्षिणी दिल्ली की पूर्व मेयर सुनीता कांगड़ा सहित तीन महिला पार्षद जो शुक्रवार को अनशन पर बैठी थीं, अस्पताल में भर्ती थीं। नवीन कुमार ने कहा कि उत्तरी दिल्ली के मेयर जय प्रकाश और दक्षिण दिल्ली की मेयर अनामिका मिथिलेश भी बीमार हो गए थे और शनिवार को उन्हें भी अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी गई थी।
तीनों नगर निगमों के महापौर और कुछ वरिष्ठ नेताओं ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार से 13,000 करोड़ रुपये जारी करने की मांग को लेकर गुरुवार को अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की थी।
शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र में बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था कि अदालतों ने भी कहा है कि दिल्ली सरकार ने नगर निगमों को सभी बकाया राशि का भुगतान कर दिया है।
दिल्ली पुलिस ने आज दोपहर को उत्तरी दिल्ली के मेयर जय प्रकाश को एक नोटिस देकर उनसे भूख हड़ताल खत्म करने और सिविल लाइंस इलाके में मुख्यमंत्री के आवास के पास धरनास्थल छोड़ने के लिए कहा गया था। नोटिस में प्रदर्शनकारियों से कहा गया था कि यदि वे धरना जारी रखना चाहते हैं तो यह स्थान छोड़कर एक निर्धारित स्थान पर चले जाएं।