उच्च न्यायालय ने आपराधिक मानहानि के मामले में आरोपी व भाजपा सांसद मनोज तिवारी और विधायक विजेंद्र गुप्ता को राहत देने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने भाजपा नेताओं की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने मानहानि के मामले में निचली अदालत द्वारा बतौर आरोपी जारी किए गए समन को रद्द करने की मांग की थी।
स्कूल भवन व कक्षाओं के निर्माण में वित्तीय अनियमिता के आरोप लगाए जाने के बाद उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भाजपा सांसद तिवारी, विधायक गुप्ता व अन्य नेताओं के खिलाफ मानहानि का यह मुकदमा दर्ज कराया है। सिसोदिया ने आरोपों को बेबुनियाद और आधारहीन बताते हुए भाजपा नेताओं पर छवि खराब करने का आरोप लगाया है। जस्टिस अनु मल्होत्रा ने भाजपा नेताओं की याचिका को खारिज कर दिया। उन्होंने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना निर्णय 7 दिसंबर को सुरक्षित रख लिया था।
तिवारी और गुप्ता की ओर से अधिवक्ता ने न्यायालय से कहा था कि निचली अदालत द्वारा जारी समन ऐसे साक्ष्य पर आधारित है, जिसे कानूनी रूप से स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा था कि इसलिए निचली अदालत द्वारा जारी समन को रद्द किया जाना चाहिए। निचली अदालत ने 28 नवंबर 2019 को तिवारी और अन्य के खिलाफ समन जारी कर पेश होने का निर्देश दिया था।
इस मामले में निचली अदालत ने तिवारी व गुप्ता के अलावा भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा, हंसराज हंस, विधायक मंजिंदर सिंह सिरसा व पार्टी के अन्य नेताओं के खिलाफ भी बतौर आरोपी समन जारी किया था।