केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का आज 22वां दिन होने आया है लेकिन कोई रास्ता निकलता नहीं दिख रहा है। न तो सरकार कानून वापस लेने के जरा भी संकेत दे रही है न किसान धरना छोड़ने के। इस बीच आज सुप्रीम कोर्ट ने फिर सुनवाई की कि बॉर्डर पर किसान टिकेंगे या उन्हें कहीं और भेजा जाएगा। सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि विरोध में बैठने से कोई फायदा नहीं होगा। दिल्ली की सड़कें रोकने से शहर के लोग भूखे रह सकते हैं। आपके उद्देश्य बातचीत से पूरे हो सकते हैं। बता दें कि इससे पहले सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को संकेत दिया था कि वह एक कमेटी बना सकती है जिसमें किसान संगठनों के लोग भी होंगे ताकि गतिरोध टूटे और किसानों का धरना समाप्त हो
कृषि मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम की खंडपीठ ने बुधवार को इसपर सुनवाई की थी और सुप्रीम कोर्ट ने मामले को लेकर केंद्र सरकार, पंजाब और हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था और सुनवाई को आज के लिए टाल दिया था।बता दें कि कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर हो रहे किसानों के आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसपर आज दूसरे दिन सुनवाई होनी है। कानून के छात्र ऋषभ शर्मा ने ये याचिका दी थी। इस याचिका में दिल्ली बॉर्डर से किसानों को हटाने की मांग है। साथ ही कहा गया है कि लोगों के इकट्ठा होने से कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ेगा। याचिका में आगे कहा गया कि लोगों को हटाना आवश्यक है, क्योंकि इससे सड़कें ब्लॉक हो रही हैं व इमरजेंसी और मेडिकल सर्विस भी बाधित हो रही है। प्रदर्शनकारियों को सरकार द्वारा तय स्थान पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए। प्रदर्शन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और मास्क का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। ।