छात्र विरोधी रवैया अपनाने पर उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को कड़ी फटकार लगाई। न्यायालय ने कहा है कि सीबीएसई छात्रों से दुश्मन की तरह व्यवहार कर रही है।मुख्य न्यायाधीश डी.एन. पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने सीबीएसई की ओर से उच्च न्यायालय ने एकलपीठ के फैसले के खिलाफ दाखिल अपील पर सुनवाई करते हुए यह तीखी टिप्पणी की है। अपील में सीबीएसई ने एकलपीठ के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें कहा गया कि कोरोना महामारी के चलते रद्द हुए परीक्षा से प्रभावित छात्रों के लिए सीबीएसई द्वारा लागू की पुनर्मूल्यांकन योजना का लाभ परीक्षा परिणाम में सुधार के लिए आवेदन करने वाले छात्रों को भी देने का निर्देश दिया था।
पीठ ने कहा कि हम सीबीएसई के इस छात्र विरोधी रवैये को बिलकुल भी पसंद नहीं कर रहे। पीठ ने सीबीएसई को फटकार लगाते हुए कहा कि आप छात्रों को बिना किसी उचित कारण के कुछ मामलों में सर्वोच्च न्यायालय तक मुकदमेबाजी में घसीट रहे हो। पीठ ने सीबीएसई से पूछा कि छात्र पढ़ाई करेंगे या फिर कोर्ट में मुकदमा लड़ेगे। उच्च न्यायालय ने कहा कि अब हमें सीबीएसई पर जुर्माना लगाना शुरू कर देना चाहिए क्योंकि वह छात्रों को दुश्मन की तरह समझ रही है।
उच्च न्यायालय ने कहा है कि यदि पुनर्मूल्यांकन योजना का लाभ परिणाम में सुधार के लिए आवेदन करने वाले छात्रों को मिलता है तो, इसमें एकलपीठ के आदेश में क्या खामी है। एकल पीठ ने 14 अगस्त को कोरोना महामारी के चलते रद्द हुए परीक्षा से प्रभावित छात्रों के लिए सीबीएसई द्वारा लागू की पुनर्मूल्यांकन योजना का लाभ सुधार के लिए आवेदन करने वाले सभी छात्रों को देने का निर्देश दिया था। कोरोना महामारी के चलते रद्द हुए परीक्षा से प्रभावित छात्रों के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर सीबीएसई द्वारा पुनर्मूल्यांकन योजना लागू की गई।
उच्च न्यायालय ने यह आदेश 12वीं कक्षा का बोर्ड परीक्षा देने वाले एक छात्र की ओर से दाखिल याचिका पर दिया था। पिछले साल छात्र ने 12वीं कक्षा के परीक्षा में 95.25 फीसदी का अंक प्राप्त किया था और उसने सुधार के लिए उसने अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, बिजनेस स्टडीज और एकाउंटेंसी के परीक्षा में शामिल हुआ। लेकिन इस साल 24 मार्च को होने वाले बिजनेस स्टडीज पेपर का परीक्षा कोरोना के मद्देनजर लागू लॉकडाउन की वजह से रद्द हो गया। इसके बाद छात्र ने पुनर्मूल्यांकन योजना के तहत अंक बढ़ाने की मांग की। लेकिन सीबीएसई ने इनकार कर दिया था। तबछात्र ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। हालांकि उच्च न्यायालय ने इस मामले में संबंधित छात्र को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 5 फरवरी को होगी।