नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू करने में अभी देर हो सकती है। सरकार जनवरी में इस कानून को लागू करने की मंशा जता रही थी, लेकिन किसान आंदोलन की वजह से इसमें बार फिर देरी की आशंका जताई जा रही है। अभी तक सरकार ने इसके लिए जरूरी नियम अधिसूचित नहीं किए हैं। अधिकारियों का कहना है कि नियम बनाने की प्रक्रिया जारी है।
सूत्रों ने कहा कि संभव है कि बंगाल चुनाव के पहले तक सीएए लागू किया जाए। हालांकि सरकार कोई भी निर्णय स्थितियों का आकलन करके ही लेगी। गौरतलब है कि साल 2019 में संसद में पास होने से पहले ही नागरिकता संशोधन कानून पश्चिम बंगाल में एक बड़ा मुद्दा बन गया था।
जहां सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) उसका पुरजोर विरोध कर रही है तो भाजपा उसे लागू करवाने पर जोर डाल रही है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने अक्तूबर में कहा था कि कोरोना महामारी के कारण नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लागू करने में देरी हुई। उन्होंने दावा किया था कि जल्द ही यह कानून लागू किया जाएगा।
वहीं, रविवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने एकबार फिर दोहराया है कि राज्य में जल्द की नागरिकता कानून लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा ‘CAA लागू करने के लिए राज्य की कोई आवश्यकता नहीं है। केंद्र सरकार सक्षम है। अगर राज्य सहयोग देगा तो भी लागू करेंगे और नहीं देगा तो भी लागू करेंगे।’
हालांकि, राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर पर उन्होंने कुछ भी नहीं कहा। उन्होंने कहा,‘भले ही पश्चिम बंगाल सरकार सीएए लागू करने का विरोध करती हो हम (केंद्र) में इसे लागू करने के लिए आगे बढ़ेंगे, यदि राज्य इसको लागू करने का समर्थन करता है तो अच्छी बात है।’
वहीं, कृषि सुधार कानूनों के विरोध में सोमवार को किसान संगठनों ने आंदोलन तेज कर दिया तथा सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए भूख हड़ताल की। किसान नेता सुबह आठ बजे से अनशन पर चले गए जो शाम पांच बजे तक जारी रहा। यह अनशन राजधानी के गाजीपुर, टीकरी, सिंघु बार्डर तथा कई अन्य स्थानों पर किया गया।
जिला मुख्यालयों में भी किसानों ने अनशन तथा धरना प्रदर्शन किया। किसान संगठन तीन कृषि सुधार कानूनों को रद्द करने पर अड़े हैं और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। ये किसान संगठन पिछले 19 दिनों से राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं।