जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए हुए पेरिस समझौते की पांचवी सालगिरह पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पूर्व में वर्ष 2030 तक की घोषित कार्य योजना से अधिक कार्य करने की प्रतिबद्धता जताई और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पर्यावरण के अनुकूल जलवायु शासन के साथ नया नजरिया अपनाने की अपील की। जिनपिंग ने शनिवार को आयोजित ‘क्लाइमेट एम्बिशन समिट को डिजिटल तरीके से संबोधित करते हुए कहा कि चीन ने ऐतिहासिक पेरिस समझौते को अंगीकार कर महत्वपूर्ण योगदान दिया है और सक्रिय रूप से इसे लागू करने का प्रयास कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र के साथ चिली व इटली की साझेदारी में ब्रिटेन और फ्रांस इस सम्मेलन के सह मेजबान थे। इस सम्मेलन में वैश्विक जलवायु नेताओं ने जलवायु आकांक्षा और पेरिस समझौते को लागू करने पर विचार विमर्श किया। जिनपिंग ने सितंबर में उनके द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए योगदान बढ़ाने तथा अन्य नीतियां अपनाने एवं उपाय करने की घोषणा का भी जिक्र किया। इसके साथ ही उन्होंने 2030 तक के लिए चीन की और प्रतिबद्धताओं की घोषणा की।
गौरतलब है कि 2030 तक की जलवायु लक्ष्य योजना के तहत यूरोपीय आयोग ने इस अवधि तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कम से कम 55 प्रतिशत कमी लाने का प्रस्ताव किया है। शिन्हुआ संवाद एजेंसी की खबर के मुताबिक जिनपिंग ने अपने संबोधन में कहा कि चीन वर्ष 2005 के स्तर के मुकाबले प्रति इकाई जीडीपी पर 65 प्रतिशत कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन कम करेगा, गैर जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी में 25 प्रतिशत की वृद्धि करेगा। इसके साथ ही चीन वर्ष 2005 के मुकाबले वनक्षेत्र को छह अरब घन मीटर बढ़ाएगा तथा पवन एवं सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता बढ़ाकर 1.2 अरब किलोवाट करेगा।
बता दें कि अमेरिका और चीन दुनिया के दो सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाले देश हैं। अमेरिका इस साल चार नंवबर को आधिकारिक रूप से वर्ष 2015 में हुए पेरिस समझौते से अलग हो गया था। जिनपिंग ने कहा, हम घोषित लक्ष्य को पूरा करने के लिए ठोस कदम उठाएंगे और जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना करने के लिए अधिक योगदान भी करेंगे।