मध्य प्रदेश के विधानसभा उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस पार्टी हताशा में नजर आ रही है। प्रदेश में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान में प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ के बयान से तो ऐसा ही लगता है। कमलनाथ ने एक रैली में कहा कि वो अब आराम चाहते हैं, जिसके कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। छिंदवाड़ा में समर्थकों को संबोधित करते हुए कमलनाथ ने राजनीति छोड़ने के संकेत दिए। उन्होंने कहा कि अब मैं आराम करना चाहता हूं, मैंने काफी कुछ हासिल किया है।
दरअसल प्रदेश की सत्ता गंवाने व उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस में लगातार कमलनाथ के खिलाफ आवाजें उठ रही हैं। ऐसे में उनके इस बयान के कई तरह मायने निकाले जा रहे हैं। कमलनाथ सिर्फ कोई पद छोड़ने की बात कर रहे हैं या फिर राजनीति से विदाई लेने की बात कर रहे हैं, इसपर कयास लग रहे हैं। कमलनाथ इन दिनों अपने बेटे के साथ छिंदवाड़ा के दौरे पर हैं, जो उनका गढ़ माना जाता है।
अभी कमलनाथ मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता होने के साथ-साथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। ऐसे में हाल ही में जब उपचुनावों में कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी तो लगातार कई नेताओं, विधायकों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोलना शुरू कर दिया।
हार का ठीकरा कमलनाथ पर फोड़ते हुए राज्य के कई नेता लगातार कह रहे हैं कि अब किसी युवा नेतृत्व की जरूरत है। कमलनाथ पर गलत टिकट बंटवारे, कमजोर उम्मीदवार और गलत रणनीति का आरोप लगा।
पहले सरकार गई और फिर उपचुनाव में पत्ता साफ
इससे पहले जब राज्य में विधानसभा चुनाव हुए थे, तब भी मुख्यमंत्री पद के लिए कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया में भिड़ंत हुई थी। तब कमलनाथ सीएम तो बन गए थे, लेकिन कुछ वक्त बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था।
इसी का खामियाजा कांग्रेस अबतक उठा रही है, पहले सिंधिया समर्थक विधायकों के इस्तीफे से कमलनाथ की सरकार गिर गई और उसके बाद अब उपचुनावों में अधिकतर विधायकों ने बीजेपी के टिकट से जीत हासिल कर ली।
केंद्रीय राजनीति में अपना दबदबा बनाने के बाद चुनाव से ठीक पहले कमलनाथ राज्य की राजनीति में एक्टिव हुए थे, उन्हें सीएम पद भी मिल गया था। लेकिन लगातार हार, सिंधिया के पार्टी छोड़ने और उससे पैदा हुए असर से कमलनाथ लगातार बैकफुट पर आते गए हैं।