मौजूदा बिहार सरकार पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की टिप्पणी पर जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि चरवाहा विद्यालय से सियासी शिक्षा और अपने सजायाफ्ता पिता से राजनीतिक दीक्षा प्राप्त एक अबोध बालक क्या समझ पाएगा खराब राज और मंगल राज का फर्क। उन्होंने कहा कि जिसे जनता आतंक राज कहती थी उसे खराब राज की संज्ञा किसी और ने नहीं बल्कि पटना हाईकोर्ट ने पहली बार 17 जुलाई 1997 को दी थी।
नीरज ने ट्वीट कर कहा कि पटना हाईकोर्ट ने 5 अगस्त 1997 को ये तक कहा था कि खराब राज में भी कुछ नियम कानून होते हैं, यहां तो कुछ भी नहीं है। विपक्ष के नेता से पूछा कि तब क्या कार्रवाई होती थी, कृपया बताने का कष्ट करें। नीरज कुमार ने पटना हाईकोर्ट के दोनों ही आदेशों को अपने सोशल मीडिया पर भी पोस्ट किया है।
जनता ने हालात जानने के बाद ही राजद को सत्ता से हटाया : जदयू
प्रदेश जदयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने विपक्ष के नेता को निशाने पर लिया है। बयान जारी कर पूछा कि तेजस्वी बताएं कि 15 हजार करोड़ से अधिक की संपत्ति के मालिक कैसे बने। ये सम्पत्ति किस राजघराने से आई? सब जानते हैं कि लालू यादव ने दो कमरे से अपना कॅरियर शुरू किया था। फिर इतनी संपत्ति कहां से आई, जरा देश की जनता को बताइए।
संजय सिंह ने कहा कि 1990 से लेकर 2005 तक के राज्य के हालात बिहार के लोगों को अच्छी तरह याद है। कैसे अपहरण के बाद फिरौती और रंगदारी टैक्स बिहार के लोगों को देना पड़ता था, ये कोई नहीं भूला है। सरकार राजस्व वसूली में भले ही घाटे में रहती थी, लेकिन फिरौती और रंगदारी टैक्स वसूलने वाले अकूत संपत्ति के मालिक बन गए। जनता ने उस समय के खराब हालात का अध्ययन कर ही राजद को सत्ता से बेदखल किया।