पूर्वांचल में इको टूरिज्म के क्षेत्र में विकास और रोजगार की अपार संभावनाएं हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विशेष रुचि से यह क्षेत्र इसका हब बनेगा। मुख्यमंत्री ने उपेक्षित पड़े विशाल नैसर्गिक झील रामगढ़ का कायाकल्प कर दिया है। यह झील आने वाले दिनों में पूर्वांचल के इको टूरिज्म का नेतृत्व करेगा।
यह बातें प्रदेश के वन, पर्यावरण व जंतु उद्यान मंत्री दारा सिंह चौहान ने कहीं। वह गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर में नियोजन विभाग व गोरखपुर विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार और संगोष्ठी के अंतिम दिन शनिवार को प्राथमिक क्षेत्र के आठवें सत्र की अध्यक्षता कर रहे थे।
वन मंत्री ने कहा कि इको टूरिज्म के लिए पूर्वांचल के गोरखपुर में रामगढ़ झील, सन्तकबीरनगर का बखिरा ताल, महराजगंज का सोहगीबरवा, सोनभद्र का मसूरी के केम्पटी फाल जैसा नजारा आदि मनमोहक हैं। महराजगंज में टाइगर रेस्क्यू सेंटर और गिद्ध संरक्षण केंद्र स्थापित हो रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयास से जनवरी में दर्शकों के लिए खुलने जा रहा चिड़ियाघर इको टूरिज़्म की संभावनाओं को और बढ़ा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार की योजना वनवासी क्षेत्रों में स्टे होने बनाकर ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने और वन क्षेत्रों में रहने वालों का आय बढ़ाने की भी है। उन्होंने बताया कि पिछले तीन सालों में प्रदेश के इको टूरिज्म स्थलों पर फुटफाल में 20 गुना तक इजाफा हुआ है। वन मंत्री ने पर्यावरण संरक्षण के लिए किए गए रिकार्ड पौधारोपण का उल्लेख करते हुए कहा कि अगले साल एक नया रिकार्ड बनेगा।
सत्र के मुख्य वक्ता प्रमुख सचिव, वन सुधीर गर्ग ने कहा कि ब्रिटिश काल में जंगलों में बसाए गए वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा देकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वनटांगियों को समाज और विकास की मुख्य धारा से जोड़ दिया है। वन भू भाग के इन वनटांगिया गांवो में स्टे होम की सुविधा विकसित कर यहां के निवासियों के लिए आय सृजन का नया द्वार खोला जा सकता है। श्री गर्ग ने कहा कि ताल तलैयों के प्राकृतिक सौंदर्य से समृद्ध पूर्वांचल में इको टूरिज्म और एडवेंचरस टूरिज्म की बहुत संभावनाएं हैं। प्रमुख सचिव, वन ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को लेकर सभी को सचेत रहने की जरूरत पर भी जोर दिया। कहा कि जलवायु परिवर्तन के खतरों को कम करने के लिए अधिकाधिक पौधारोपण करना समय की मांग है। प्राथमिक क्षेत्र के आठवें तकनीकी क्षेत्र में मुख्य वन संरक्षक, गोरखपुर भीमसेन ने पूर्वांचल में वन क्षेत्र के विकास की स्थिति, देहरादून से फारेस्ट पैथालोजी के वैज्ञानिक डॉ अमित पांडेय, ने पूर्वांचल में साखू के पेड़ों के सूखने के पैथालोजिकल कारणों, सेंटर फॉर रिसर्च एंड डेवलपमेंट, गोरखपुर के डॉ बीएन सिंह ने पूर्वांचल के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सांभा सब-1 प्रजाति के चावल पर किए गए शोध अध्ययन, संजय मल्ल ने पूर्वांचल में वन संपदा पर आधारित उद्योग की संभावनाओं पर चर्चा की।
इसके पूर्व प्राथमिक क्षेत्र का सातवां तकनीकी सत्र कृषि में रोजगार के मुद्दे पर केंद्रित रहा। इस सत्र में नाबार्ड के सीजीएम एस पांडेय, इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर ऑफ साउथ एशिया के निदेशक डॉ उमाशंकर सिंह ने पूर्वांचल में आलू की गुणवत्ता में सुधार की तकनीक, सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पल्लवपुरम मेरठ के कुलपति डॉ आरके मित्तल ने अर्थव्यवस्था के लिए वरदान ऑर्गेनिक खेती, सीमैप लखनऊ के निदेशक डॉ प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने पूर्वांचल की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पारम्परिक के साथ सगंध पौधों की खेती के एकीकरण व पीआरडीएफ के डॉ रामचेत चौधरी ने कृषि क्षेत्र की ओडीओपी में शामिल कालानमक चावल की खेती से आय बढ़ाने पर व्क्तव्य दिया।