चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि बीजिंग और नई दिल्ली के बीच अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए दोनों देशों को प्रयास करने की जरूरत है। यह भी माना कि अच्छे संबंध से दोनों देशों का फायदा है, लेकिन मौजूदा सीमा विवाद के लिए सारा दोष एक बार फिर मारत पर मढ़ने की कोशिश की है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने (भारतीय) विदेश मंत्री एस जयशंकर की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए यह बात कही।
जयशंकर ने कहा था कि चीन ने भारत को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बड़ी तादाद में सैन्यबल की तैनाती के लिए ‘पांच अलग वजहें बता चुका है और द्विपक्षीय समझौतों के उल्लंघन ने आपसी संबंधों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने बुधवार को ऑस्ट्रेलियाई थिंक टैंक लॉवी इंस्टिट्यूट द्वारा आयोजित ऑनलाइन संवाद सत्र में पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच महीनों से जारी सैन्य गतिरोध के आलोक में यह बात कही थी।
चुनयिंग ने यहां चीनी विदेश मंत्रालय की नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कहा, ”चीन और भारत पड़ोसी हैं और दुनिया के दो सबसे बड़े उभरते बाजार हैं, ऐसे में अच्छे संबंध बनाए रखने से दोनों देशों और उनके लोगों के बुनियादी हितों की पूर्ति होती है लेकिन इसके लिए दोनों पक्षों की ओर से साझा प्रयासों की जरूरत है।”
उन्होंने कहा, ”सीमावर्ती क्षेत्र में स्थिति बहुत स्पष्ट है और जिम्मेदारी पूरी तरह भारतीय पक्ष के कंधों पर है। चीन दोनों पक्षों के बीच के समझौतों का कड़ाई से पालन कर रहा और वह वार्ता के माध्यम से सीमा मुद्दे का समाधान और सीमावर्ती क्षेत्र में शांति और स्थिरता बरकरार रखने के लिए कटिबद्ध है।”
चुनयिंग से जब सीमा पर वर्तमान गतिरोध को दूर करने के लिए जरूरी साझा प्रयासों की बात को स्पष्ट करने को कहा गया तो उन्होंने कहा, ”सभी संप्रभु देशों की भांति हम अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा करने के लिए संकल्पबद्ध हैं। भारतीय पक्ष के संदर्भ में मैं मानती हूं कि गंभीर प्रश्न यह है कि उसे क्या परिलक्षित करना चाहिए।” उन्होंने कहा, ” द्विपक्षीय संबंधों में चुनौतियां तो हैं लेकिन भारत के संदर्भ में चीन का रुख एवं नीति नहीं बदली है।”
चुनियंग ने कहा कि दो बड़े देशों एवं उभरते बाजारों के तौर पर ”अच्छे संबंध रखने से दोनों के बुनियादी हितों की पूर्ति होती है और हम सीमावर्ती क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता बरकरार रखने के लिए कटिबद्ध हैं।” प्रवक्ता ने कहा, ” हमें उम्मीद है कि हम सहमति पर पहुंच सकते हैं, उपयुक्त ढंग से मतभेदों को को दूर कर सकते हैं, व्यावहारिक सहयोग बढ़ा सकते हैं और द्विपक्षीय संबंधों को पटरी पर ला सकते हैं।” दोनों देश पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के समाधान के कोर कमांडर स्तर की 8 दौर की बातचीत कर चुके हैं लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है